Black Fungus in Indore। कोविड के बदले वेरिएंट ने इस बार कई मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को ब्लाक किया है। यही वजह है कि इस बार पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले बढ़े हैं। एमजीएम मेडिकल कालेज द्वारा अस्पताल में भर्ती 200 से अधिक मरीजों को ब्लैक फंगस होने के कारणों को जानने के लिए की गई स्टडी में यह सामने आया है। मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के एचओडी डा. वीपी पांडे के मुताबिक हमने मरीजों की बीमारी की हिस्ट्री पूछकर उसका विश्लेषण किया है। इसमें यह बात सामने आई है कि कई मरीज ऐसे हैं, जो न अस्पताल में भर्ती हुए और न ही उन्हें स्टेराइड दिए गए। इसके बाद भी उन्हें ब्लैक फंगस का संक्रमण हुआ। अभी स्टडी प्रारंभिक स्तर पर की गई है।
इसमें यह सामने आया है कि वायरस के बदले रुम ने इस बार लोगों की इम्युनिटी को ब्लाक किया है। इस कारण ब्लैक फंगस संक्रमण के मरीज बढ़े हैं। ऐसे में कोविड संक्रमण होने के बाद मरीजों को अपनी इम्युनिटी को बेहतर बनाने के पौष्टिक आहार, योग व व्यायाम करना चाहिए। इसके अलावा मरीज को ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षणों पर नजर रखना चाहिए ताकि बीमारी को प्रारंभिक स्तर पर ही पकड़ में आने पर उसका इलाज हो सकें।
एमवायएच में 210 मरीजों की स्टडी में सामने आया है कि 44 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिन्हें कोविड संक्रमण के दौरान आक्सीजन पर रखा नहीं गया। इतना ही नहीं 174 मरीजों को ही एटेडराइड दिए गए। ब्लैक फंगस संक्रमण का शिकार हुए 210 मरीजों में 59 महिलाएं तो 151 पुरुष है। इससे स्पष्ट है कि ब्लैक फंगस ने महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को चपेट में ज्यादा लिया। इन मरीजों की स्टडी में यह भी देखने में आया कि सभी में शुगर या अन्य कोई पुरानी बीमारी भी थी। डा. पांडे के मुताबिक जिंक व भाप से ब्लैक फंगस होने की भ्रातियां गलत हैं। जिन मरीजों का शुगर लेवल ज्यादा होता है उन्हें ही ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा रहता है।