बिहार पंचायत चुनाव के सिटिंग मुखिया के लिए पंचायती राज विभाग ने फरमान जारी करते हुए बताया है कि 31 मार्च 2020 तक हुए खर्च का अंकेक्षण (ऑडिट) पूरा नहीं कराने वाले मुखिया अयोग्य घोषित होंगे। पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने इसको लेकर रविवार को आदेश जारी किया है।
विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि पंचायती राज अधिनियम के अनुसार अंकेक्षण समय पर कराना अनिवार्य है। अगर कोई मुखिया इस कार्य को नहीं करते हैं तो माना जाएगा कि वह संवैधानिक दायित्व को निभाने में असफल रहे। ऐसा नहीं करने वाले मुखिया अयोग्य घोषित किए जाएंगे। श्री मीणा ने यह भी आदेश दिया है कि सभी मुखिया के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराना अनिवार्य है।
गौर हो कि कुछ ही दिन पहले पंचायती राज विभाग ने निर्देश दिया था कि नल-जल योजना को जो मुखिया तत्परता से पूर्ण नहीं करायेंगे उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। विभाग ने चेतावनी दी थी कि अयोग्य घोषित करने के प्रस्ताव पर वह काम कर रहा है। इस योजना में लापरवाही बरतने और गड़बड़ी करने वाले मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश जिलों को दिया गया था। अब यूसी को लेकर अयोग्य घोषित कर ऐन चुनाव के पहले विभाग ने कड़ा संदेश दिया है कि राशि खर्च कर उसका हिसाब नहीं देने वाले और योजनाओं में गड़बड़ी करने वाले मुखिया बख्शे नहीं जायेंगे।