बिहार की राजधानी स्थित बेऊर जेल अपराधियों के लिए सेफ जोन बन गया है। जेल में बंद रहने के बावजूद कुख्यात अपराधी आसानी से स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोना लुटेरा सुबोध सिंह द्वारा कुणाल के परिजनों को भेजे गये वीडियो ने बेउर जेल प्रशासन की पोल खोल दी है।
कुणाल के परिजनों का आरोप है कि सुबोध ने अपने पास कई मोबाइल फोन रखे हैं, जिससे वह अक्सर उन्हें वाट्सएप पर मैसेज किया करता था। यहां तक कि सुबोध वीडियो और फोटो भी भेजा करता था। इस मामले के सामने आने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि बेउर जेल में छापेमारी होती है या नहीं ? अगर होती है और जेल प्रशासन सजग है तो इतने कुख्यात बंदियों के पास मोबाइल फोन कहां से पहुंच रहे हैं? सूत्रों की मानें तो जेल कर्मियों की मिलीभगत से कीमती मोबाइल बंदियों तक पहुंचते हैं।
स्मार्टफोन पहुंचाने की ज्यादा कीमत वसूलते हैं
स्मार्टफोन पहुंचाने की ज्यादा कीमत जेल के कर्मी वसूलते हैं। जेल गेट पर तलाशी लेने में भी कोताही बरती जाती है। इसके बाद उसे बंदियों तक पहुंचा दिया जाता है। पहले भी कई बार संगीन घटनाओं के तार बेऊर जेल से जुड़ चुके हैं।
जिस वार्ड का वीडियो वायरल हुआ है उसमें जेल मैन्युअल की पोल खोल खुलती नजर आ रही है। जेल की दीवारों पर स्टीकर लगाकर उसे बंदियों ने सजा दिया है। साथ ही बंदी वहां मौज-मस्ती करते दिख रहे हैं। जेल प्रशासन का उन पर कोई भी नियंत्रण नहीं है।