Bharat Bandh in Indore: अनाज मंडी में सवा घंटे चला कांग्रेस का प्रदर्शन, दिग्विजय ने जिसे किसान बता कर बात की, वह कांग्रेस का कार्यकर्ता

 Bharat Bandh in Indore। कांग्रेस ने सुबह नौ बजे से छावनी संयोगितागंज मंडी में धरने प्रदर्शन की घोषणा की थी। दिग्विजय तय समय से डेढ़ घंटे से ज्यादा देरी से प्रदर्शन में पहुंचे। उससे पहले शहर कांग्रेस अध्य्क्ष विनय बाकलीवाल और जिला कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के साथ कांग्रेसी कार्यकर्ता मंडी गेट के बाहर इंतज़ार करते रहे। कांग्रेसियों के आने से पहले मंडी बंद हो चुकी थी। बंद के बाद आव्हान को देखते हुए किसान ही माल लेकर मंडी में नहीं पहुंचे। मंडी के प्रवेश पर एडीएम अजयदेव शर्मा के साथ भारी पुलिस बल तैनात था। सुबह करीब 10.45 पर दिग्विजय मंडी पहुंचे। केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कांग्रेस नेताओं, विधायकों के साथ दिग्विजय ने मंडी परिसर का चक्कर लगाया। एक जगह रुककर दिग्विजय ने माइक अपने हाथ में थामा और एक व्यक्ति से कृषि कानून पर प्रतिक्रिया मांगी। खुद को सांवेर क्षेत्र का किसान बताते हुए व्यक्ति ने भाषण के अंदाज में शिवराज और केंद्र सरकार को कोसा। समर्थन मूल्य नहीं मिलने से लेकर मंदसौर किसान आंदोलन में गोली चलाने को लेकर भी सरकार को घेरा। नईदुनिया ने इस व्यक्ति की जानकारी निकाली तो पता चला कि राजकुमार सोनगरा नामक व्यक्ति कांग्रेसी कार्यकर्ता है। खुद अखिल भारतीय सोनिया गांधी यूथ मिशन नामक संगठन भी चलाता है और खुद को उसका अध्य्क्ष बताता है। दिग्विजय ने मंडी में काम कर रही मजदूर महिलाओं से भी बात की। एक महिला ने कहा कि कानून से मंडी खत्म हो जाएगी। हम श्रमिक हम्माल बेरोजगार हो जाएंगे।

आगे कंट्रोल भी बंद होंगे

मंडी परिसर में कांग्रेस नेताओं ने संबोधित किया। पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा ने कहा कि मोदीजी की औकात नही है कि वे सरकार चलाए। असल में ये सरकार तो अंबानी और अडानी जैसे कारपोरेट चला रहे हैं। उन्हीं के कर्ज को उतारने के लिए ताजा कृषि कानून लाए हैं। दिग्विजय ने कहा- मैं संघ प्रमुख मोहन भागवत से मांग करता हूँ कि वे भारतीय किसान संघ को कहें कि वे भी किसानों के समर्थन में आगे आएं। सिर्फ किसानों के साथ ही नहीं मजदूर हम्मालों के साथ भी धोखा हो रहा है। अब एसडीएम साहब की मर्जी से ही कोई ट्रेड यूनियन रजिस्टर्ड हो सकेगी। दिग्विजय ने कहा कि हमने कानूनों का संसद में विरोध किया तो सदस्यों को बाहर कर दिया गया। मोदी सरकार अगली बार फिर सत्ता में आई तो राशन की दुकानें (कंट्रोल) भी बंद कर देगी। प्रदेश कांग्रेस को नए कानून के पर्चे छपवाना चाहिए। हर कार्यकर्ताओं को ऐसे पर्चे दें। कार्यकर्ता पढ़े और हर घर-घर तक पहुंचाएं। प्रदर्शन में विधायक पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, विशाल पटेल, पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल, अश्विन जोशी, अंतरसिंह दरबार समेत तमाम कांग्रेस नेता मौजूद थे। अंत में कांग्रेस नेताओं ने एडीएम को मंडी परिसर में ही ज्ञापन दिया।


चोइथराम मंडी : चोइथराम फल और सब्जी मंडी में बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला। अधिकांश किसान अपनी सब्जियों को लेकर नहीं आए। इस कारण आम दिनों के मुकाबले सिर्फ 40 फीसद माल ही आ पाया। दूरदराज का माल तो बिल्कुल नहीं आया। सिर्फ आसपास के गांवों से सब्जियां आ पाई। इसमें मैथी, मूली, पालक जैसी हरी सब्जियां शामिल थी।


पिछले कुछ दिनों से मंडी में आलू और प्याज की खूब आवक हो रही थी, लेकिन बंद से आलू और प्याज मंडी भी प्रभावित रही। महाराष्ट्र की तरफ से आने वाले प्याज की आवक अचानक कम रही। नुकसान के डर से व्यापारियों ने भी माल नहीं खरीदा। प्रशासन और पुलिस ने यहां सुरक्षा इंतजाम कर रखे हैं। आलू-प्याज व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष ओमप्रकाश गर्ग ने बताया कि मंडी चालू रही लेकिन आवक पर काफी असर पड़ा है। कई व्यापारी भी इस डर में नहीं आए कि बंद के दौरान कोई फसाद हो

फूटीकोठी मंडी : फूटी कोठी मंडी में सिरपुर,माचल, हातोद, धार रोड के किसान भी सब्जियां लेकर आए हैं। व्यापारी दिनेश चौहान के मुताबिक वह चोइथराम सब्जी मंडी गया था। वहां देपालपुर, बेटमा, माचल, सिमरोल के किसान भी आए थे।

किसी ने न तो बंद का समर्थन किया, न सब्जी बेचने से इन्कार किया। गंगाराम के मुताबिक उसे किसी संगठन के किसी दल ने नहीं रोका। सब्जी नहीं लाता तो नुकसान हो जाता। गंगाराम को कृषि कानून और उसके विरोध के संबंध में कोई जानकारी नहीं है|

बैंककर्मियों का भी समर्थन

बैंककर्मी भी किसान आंदोलन के समर्थन में उतर गए हैं। मप्र बैंक एम्पलाइज एसोसिसएशन के चेयरमैन मोहन कृष्ण शुक्ला ने कहा कि देशभर के किसानों ने केंद्र सरकार से किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर बैंककर्मियों ने बिल्ले पहनकर काम किया। साथ ही इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसानों की मांगों, संघर्ष व आंदोलन को समर्थन प्रदान किया।

परदेशीपुरा, पाटनीपुरा और एलआइजी पर पुलिस जवान नजर आए। जिन्होंने लोगों को भीड़ लगाने से मना किया। यहां तक पूरे क्षेत्र की 80 फीसद दुकानें नहीं खुलीं। व्यापारियों ने भी दुकानें बंद कर किसानों को मौन समर्थन दिया।

प्रमुख चौराहों पर पुलिस चौकस, भीड़ पर रख रही नजर

किसान आंदोलन को देखते हुए शहर की प्रमुख मंडियों के अलावा चौराहे पर पुलिस और जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने मोर्चा संभाल रखा है। चौराहे पर चारों रास्तों से आने-जाने वाले वाहनों पर भी नजर रख रही है। किसी को परेशानी न हो इसलिए उन्हे केवल पूछताछ के लिए ही रोककर आगे भेजा जा रहा है। पुलिस मुख्य रूप से इंदौर के बाहर से आने वाले लोगों पर नजर जमाए हुए है। पुलिस ने रात में ही इसकी तैयारी कर ली थी, वहीं डीआइजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने एएसपी, सीएसपी व टीआई से चर्चा कर आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा व विवाद जैसी स्थितियां निर्मित न हो इसको लेकर समझाइश दी है। साथ ही यह भी कहा था कि यदि भीड़ या संदिग्ध व्यक्ति नजर आता है तो उससे पूछताछ की जाए। भीड़ को समझाया जाए, यदि नहीं माने तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

मंदसौर गौलीकांड की तरह न बनें स्थिति

मंदसौर में जून 2017 में आंदोलन उग्र होने के कारण पुलिस और किसानों के बीच हुई मुठभेड़ में पांच किसानों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने बताया कि यहां ऐसी स्थिति नहीं है, लेकिन फिर भी लगातार नजर रखने की जरूरत है, किसी भी प्रकार के हंगामे की स्थिति निर्मित नहीं होना चाहिए। साथ ही अधिकारियों के बीच लगातार संपर्क बना रहे, जिससे किसी भी प्रकार की गफलत पैदा न हो। आंदोलन में यदि लोग खुद हिस्सा लेते हैं और अपनी दुकान बंद रखते हैं तो उन्हे परेशान न किया जाए। यदि आंदोलनकारी जबरदस्ती बंद कराते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाए।

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