Article 370 पर संकल्प सदन में : शाह ने LS में पेश किया अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प

नई दिल्ली। सोमवार को एक एतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने के प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जहां इसे पास कर दिया गया। इसके बाद इसे आज गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश कर दिया है। बहुमत होने के कारण यह तय माना जा रहा है कि प्रस्ताव को लोकसभा में भी मंजूरी मिल जाएगी। लोकसभा से मंजूरी मिलते ही विशेष दर्जा और अनुच्छेद 370 दोनों खत्म हो जाएंगे। यानी जम्मू -कश्मीर सही मायनों में भारत का अभिन्न अंग हो जाएगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की नागरिकता निर्धारित करने वाला अनुच्छेद 35ए भी बेअसर हो जाएगा।

शाह के आक्रमक जवाब कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाए तो गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अंदरुनी मामला है और कश्मीर की सीमा में पीओके भी आता है। आप आक्रामक होने की क्या बात करतें हैं इसके लिए हम जान भी दे सकते हैं।

गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जब मैं जम्मू-कश्मीर बोलता हूं तो सदन नोट कर ले कि इसका मतलब पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी है।

– अधिर रंजन ने आगे कहा कि आप कहते हुए कश्मीर भारत का अंदरुनी मसला है लेकिन 1948 से इसकी मॉनिटरिंग संयुक्त राष्ट्र कर रहा है, तो क्या यह अंदरुनी मसला है? हमने शिमला समझौता और लाहौर घोषणा पत्र साइन किया। तो क्या यह अंदरुनी मसला है या फिर द्विपक्षीय।

अधिर रंजन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने अमेरिकी विदेश सचिव से भी कहा था कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें हस्तक्षेप ना करें। तो क्या जम्मू-कश्मीर अब भी देश का अंदरुनी मामला है?

सदन में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद विपक्षी नेता अधिर रंजन चौधरी ने सरकार के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने रातोंरात सारे नियमों का उल्लंघन करके अनुच्छेद पर फैसला ले लिया। मुझे नहीं पता कि आप पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में क्या सोचते हैं, लेकिन आपने सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया।

– सदन में उन्होंने अनुच्छेद 370 के अलावा जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन करने से संबधित बिलों को सदन में पेश किया।

सदन की कार्यवाही शुरू हो चुकी है और सदन में आज कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर और मनीष तिवारी प्रस्ताव पर बोलेंगे।

केंद्र सरकार के इस कदम से जहां देश में जश्न है वहीं जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के भारी इंतजाम किए गए हैं। राजधानी श्रीनगर के अलावा डोडा व अन्य शहरों में धारा 144 लागू करने के साथ ही भारी संख्या में फोर्स तैनात की गई है।

अमित शाह ने बताया कैसे हटाया अनुच्छेद 370

गृह मंत्री शाह सोमवार को राज्यसभा पहुंचे तो तैयारी पूरी थी। जब उन्होंने अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने के प्रस्ताव और राज्य को दो भागों में विभाजित करने और राज्य में आरक्षण संबंधी विधेयक लेकर आए तो सदन में भारी हंगामा होने लगा।

लेकिन शाह ने संविधान को ही सामने रखते हुए स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रपति को अधिकार है और उन्होंने मंजूरी दे दी है। चूंकि राज्य विधानसभा अस्तित्व में नहीं है इसीलिए अधिकार संसद के पास है कि वह प्रस्ताव करे और फिर राष्ट्रपति उस पर मुहर लगाएं। उन्होंने यह भी याद दिला दिया कि कांग्रेस ने भी 1952 और 1962 में अनुच्छेद 370 में संशोधन किया था।

विपक्ष के कईं दलों ने भी किया समर्थन

भले ही कांग्रेस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने इसे इतिहास का काला दिन बताया। वहीं पीडीपी सांसद नजीर अहमद ने सदन के भीतर ही संविधान की प्रति फाड़ दी और राजग का सहयोगी दल जदयू भी विधेयक के खिलाफ दिखा। लेकिन बसपा, बीजद, वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसद विधेयक के पक्ष में खड़े हो गए। विधेयक का विरोध करने के बावजूद जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राकांपा ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। आखिरकार राज्यसभा ने प्रस्ताव पर ध्वनिमत और विधेयक पर 61 के मुकाबले 125 के दो तिहाई बहुमत से अपनी मुहर लगा दी।

अनुच्छेद 370 की कमजोरियों को ही बनाया हथियार

प्रस्तावों और विधेयकों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की आशंका को देखते हुए पूरी तैयारी की गई। इसके लिए अनुच्छेद 370 के भीतर मौजूद कमजोरियों को हथियार बनाया गया। जम्मू-कश्मीर विधानसभा नहीं होने की स्थिति में राज्यपाल ने अनुच्छेद 370 के तहत मिले अधिकार का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति से अनुच्छेद 35ए के विशेष अधिकार देने वाले अनुबंधों को निरस्त करने की अनुशंसा की। इसके साथ ही अनुच्छेद 370 के अस्थायी रूप से संविधान में शामिल किए जाने और जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की अनुशंसा पर इसे निरस्त करने के प्रावधान को हथियार बनाया गया।

राज्यपाल ने की थी अनुशंसा

बताया गया कि जम्मू-कश्मीर में संविधान सभा की जगह विधानसभा ले चुकी है। विधानसभा नहीं होने की स्थिति में यह अधिकार राज्यपाल के पास आ जाता है। राज्यपाल ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए पूरे 370 को निरस्त करने की अनुशंसा कर दी। कैबिनेट से इन अनुशंसाओं पर मुहर लगने के बाद राष्ट्रपति ने इन्हें निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। राष्ट्रपति के दोनों आदेशों को संसद की मंजूरी के लिए दो प्रस्तावों के रूप में राज्यसभा में पेश किया गया।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com