बच्चन परिवार में पीढ़ियों से एक रोचक परंपरा चल रही है। इसके खुलासा Amitabh Bachchan के पिता और प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन ने एक बार किया था। उन्होंने बताया था कि उनके परिवार में जाने-अनजाने ही लोकतांत्रिक व्यवस्था रही है। इस व्यवस्था के तहत बच्चन परिवार में पीढ़ी बदलने पर घर की सत्ता भी बदल जाती थी। मतलब ये कि एक पीढ़ी में यदि घर में स्त्री की चलती थी तो अगली पीढ़ी में कोई पुरुष परिवार का नेतृत्व करता था। इसे लेकर हरिवंशराय बच्चन अक्सर हंसते हुए कहा करते- ‘हमारे परिवार में अनूठा लोकतंत्र है, जो स्वतः सत्ता हस्तांतरण कर देता है।’ इसका जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा में भी किया है।

अपनी आत्मकथा के पहले हिस्से में हरिवंशराय बच्चन लिखते हैं- ‘मेरे परिवार में एक विचित्र परंपरा चली आ रही है। इसके तहत एक पीढ़ी में पुरुष शासन करता है, तो दूसरी पीढ़ी में स्त्री। मेरे परदादा मेरी परदादीको हमेशा दबाए रखते, यानी उस पीढ़ी में घर में पुरुष की चलती थी। बाद में जब मेरे दादा-दादी का समय आया तो सत्ता दादी के हाथ में थी। दादी के सामने मेरे बाबा की सिट्‌टी-पिट्‌टी गुम हो जाती थी। यानी इस पीढ़ी में वर्चस्व स्त्री के हाथ में था। फिर पीढ़ी बदली तो सत्ता फिसलकर पुनः पुरुष वर्ग के हाथ में आ गई। दादा-दादी के बाद मेरे पिताजी मेरी माताजी के लिए हमेशा सवा सेर बने रहते थे। मैंने बचपन से यही देखा कि मातापिता में पिता की ही चली। उनके बाद मेरी पीढ़ी आई तो फिर सत्ता बदल गई। मुझ पर, मेरी पत्नी और बच्चों की हुकूमत चलती है। अब मेरे बाद अमिताभ, अजिताभ की पीढ़ी है और वे खुश हैं कि परिवार की इस विचित्र परंपरा के अनुसार स्त्रियों के सामने अब उनकी चलेगी।’

लोकतांत्रिक व्यवस्था की एक खासियत होती है कि इसमें सत्ता पर किसी का एकाधिकार नहीं रहता। समय-समय पर सत्ता का हस्तांतरण होता रहता है। हम राजनीति में तो लोकतांत्रिक व्यवस्था से वाकिफ हैं, लेकिन यहां हम एक खास परिवार की बात कर रहे हैं, जिसने अनूठे ढंग से अपने यहां लोकतंत्र को साध रखा था।