रायपुर। AIIMS Stem Cell: रिजनरेटिव साइंस और स्टेम सेल रिसर्च के प्रमुख बिंदुओं पर विचार और इस क्षेत्र में भविष्य के अनुसंधान की दशा और दिशा तय करने के लिए इंडियन स्टेम सेल स्टडी ग्रुप एसोसिएशन की दो दिवसीय द्विवार्षिक कॉफ्रेंस आईएससीएसजीकॉन-2021 का एम्स में शनिवार को उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर विभिन्न विभागों से मिलकर स्टेम सेल पर अनुसंधान करने और इसके क्लिनिकल ट्रायल को और अधिक व्यापक बनाने का आह्वान किया गया।
कांफ्रेंस का उद्घाटन करते हुए निदेशक प्रो. डॉ. नितिन एम. नागरकर ने कहा कि कॉफ्रेंस की मदद से भारत में स्टेम सेल संबंधी अनुसंधान को और अधिक व्यापक बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने स्टेम सेल अनुसंधान की मदद से उम्र, बीमारी या अन्य किसी वजह से टिश्यू और ऑर्गन को होने वाली हानि को दूर कर उपचार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रीढ़ की हड्डी, ट्यूमर, सेरेब्रल पाल्सी, गंभीर चोट या हड्डी संबंधी दिक्कतों को स्टेम सेल की मदद से दूर किया जा सकता है। इसका अनुप्रयोग सर्जरी, नेत्र रोग, ईएनटी, मेडिसिन और न्यूरोसाइंस जैसे विभागों में बढ़ता जा रहा है।
कांफ्रेंस के आयोजक सचिव प्रो. डॉ. आलोक चंद्र अग्रवाल ने बताया कि देश में रिजनरेटिव मेडिसिन और स्टेम सेल के अनुसंधान की चर्चा एक मंच पर करने के लिए कॉफ्रेंस का आयोजन किया जा रहा है। इससे चिकित्सकों और अनुसंधानकर्ताओं को इस दिशा में हो रहे रिसर्च के बारे में विशेषज्ञों से और अधिक जानने का मौका मिलेगा। उन्होंने हड्डी रोगों में स्टेम सेल के बढ़ते अनुप्रयोगों के बारे में भी विस्तार से बताया।
कॉफ्रेंस का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया जा रहा है, जिसमें एम्स दिल्ली और देश के अन्य चिकित्सा संस्थानों के 200 प्रमुख चिकित्सक ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में व्याख्यान दे रहे हैं। पहले दिन उद्घाटन सत्र में एम्स दिल्ली की स्टेम सेल विभागाध्यक्ष डॉ. सुजाता मोहंती, सूरत से डॉ. कंचन मिश्रा, मंगलौर से डॉ. शांताराम शेट्टी और एम्स रायपुर की डॉ. रूपा मेहता ने स्टेम सेल के विभिन्न अनुप्रयोगों पर व्याख्यान दिए।