छह लोगों को अपना निवाला बना चुके बाघ को पकड़कर आज लखनऊ चिडियाघर लाया गया। अब यह लखनऊ चिडिय़ाघर में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। वन्यजीव विशेषज्ञ यहां इसके स्वभाव पर अध्ययन भी करेंगे। बाघ को शनिवार को करीब 3.15 बजे ट्रंकुलाइज कर लिया गया था। इसके बाद पिंजरे में कैद करने से पहले लोगों ने बाघ को मारने का प्रयास किया। लोगों ने उस पर गन्ने और ईट पत्थर बरसाए। अगर हाथी न होते तो इस बाघ को बचाना मुश्किल हो जाता। हाथियों ने बाघ को सुरक्षित बचाकर पिंजरे में कैद करने में अफसरों की मदद की थी।
कड़ी सुरक्षा में लाया गया बाघ
वहां से सुरक्षित निकले के बाद में भीड़ से बचने के लिए बाघ को मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस तरफ ले जाया गया। वहां से जांच पड़ताल के बाद कड़ी सुरक्षा में माला रेंजर दिलीप श्रीवास्तव एवं महोफ रेंजर गिरिराज सिंह व ट्रंकुलाइज टीम के साथ बाघ को लखनऊ चिडियाघर के लिए रवाना किया गया था। शाम से चलकर रात में करीब 2 बजे बाघ लखनऊ चिडिय़ाघर पहुंच गया। इसकी लगातार वनाधिकारी टोह लेते रहे। लखनऊ पहुंचने के बाद ही अफसरों ने राहत की सांस ली। उधर लोगों की पिटाई के बाद यह आशंका भी जताई जा रही थी कि कहीं बाघ को गंभीर चोट न लग गई हो यह भ्रम तभी टूट गया जब पूरनपुर पहुंचते ही बाघ पिंजरे में उठकर बैठ गया एवं दहाडऩे लगा। इससे अफसरों ने राहत की सांस ली। उधर बाघ को चिडिय़ाघर में छोडऩे की वनाधिकारियों के निर्णय की लोग सराहना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर दुबारा जंगल में छोड़ देते तो यह बाघ फिर से वापस आ जाता।
बाघ को वापस लाने का इरादा नहीं
बाघ के लखनऊ चिडिय़ाघर पहुंचने से पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ का कुनवा घटा है। इससे पहले भी एक बाघ को चिडिय़ाघर भेजा गया था। तीन चार बाघ मर चुके हैं। ऐसे में अपने यहां बाघ कम होने के बारे में इस बाघ की लखनऊ से वापसी के बारे में पूछने पर टाइगर रिजर्व के डीएफओ कैलाश प्रकाश ने बताया कि इस बाघ को वापस नहीं लाया जाएगा। उनके अनुसार बाघ के स्वभाव का अध्ययन चिडिय़ाघर के वन्य जीव विशेषज्ञ करेंगे। बाघ की उम्र करीब 3 से 4 साल के बीच बताई गई है। डीएफओ ने बताया कि बाघ पूरी तरह से स्वस्थ है। चिडिय़ाघर में पर्यटकों को देखने को मिलेगा।
बाघ पकडऩे की रिपोर्ट शासन को भेजी
जैसे ही आतंक के पर्याय बने बाघ को शनिवार को पूरनपुर में ट्रंकुलाइज कर पकड़ा गया डीएफओ ने इसकी रिपोर्ट शासन के प्रमुख सचिव, प्रमुख वन संरक्षक सहित विभाग के आला अफसरों को भेज दी। इसमें लोगों को मारने वाले बाघ को पकड़े जाने की सूचना दी गई थी। दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव ने बाघ को पकडऩे के लिए चुनाव बाद हर संभव प्रयास का आश्वासन दिया था। इसे संयोग ही कहें कि उनकी घोषणा के 26 घंटे के बाद ही बाघ को पकड़ लिया गया। इसकी भी काफी चर्चा रही