कर्नल निजामुद्दीन का जन्म मुबारकपुर के ढकवा गांव में पहली जनवरी, 1900 को हुआ था। वर्ष 1943 में वह सिंगापुर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े और आजाद हिंद फौज के लिए काम किया। देश आजाद होने के बाद अपने गांव आ गए थे।
पिछले काफी समय से गांव में ही रह रहे थे। उन्हें घुटने में तकलीफ थी। रविवार की रात उन्होंने परिवार के संग खाना खाया था। कर्नल रोज सुबह चार बजे बिस्तर से उठ जाते थे। सोमवार को नहीं उठने पर चार बजे परिवार वाले जगाने पहुंचे तो उनकी मौत हो चुकी थी। उनके निधन की खबर गांव और जिले में फैलते ही बड़ी संख्या में अधिकारी, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता एवं अन्य लोग उनके आवास पर पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।
अंतिम दर्शन के बाद दोपहर बाद कर्नल निजामुद्दीन का जनाजा निकला जिसमें भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। नमाजे जनाजा मौलाना अबुल वफा ने पढ़ाई। उसके बाद गांव के ही कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्दे खाक कर दिया गया।