दो को छोड़ नहीं मिला किसी को दुबारा मौका

सदर विधानसभा सीट जिले की एकलौती सीट है जहां के मतदाताओं ने अब तक के चुनाव में सबसे अधिक जनप्रतिनिधि बदले हैं। दो जनप्रतिनिधियों को छोड़ किसी को भी यहां के मतदाताओं ने दोबारा जीतने का मौका नहीं दिया।RLA-Photo-F
 
अब तक हुए कुल 15 बार के चुनाव में 1957 और 1962 में  राजा यादवेंद्र दत्त दुबे जनसंघ से दो बार विधायक चुने गए थे और 1977 और 1980 के चुनाव में कमला सिंह कांग्रेस से विधायक बने थे । इन दोनों नेताओं को छोड़कर यहां के मतदाताओं को कभी कोई भी प्रतिनिधि दोबारा रास नहीं आया।

यह सीट अपने आप में इसके लिए काफी चर्चित सीट मानी जाती है। पहली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हरगोविंद सिंह विधायक चुने गए थे। 1957 और 1962 में हुए दूसरे और तीसरे विधानसभा के चुनाव में जनसंघ के राजा यादवेंद्र दत्त दुबे यहंा से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे।

1967 में कांग्रेस के कमलापति त्रिपाठी यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी प्रकार 1969 में जनसंघ के जंगबहादुर यादव और 1974 में कांग्रेस के ओमप्रकाश यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कमला प्रसाद सिंह को मौका मिला था।

1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी से चंद्रसेन सिंह, 1989 निर्दल अर्जुन यादव चुनाव जीते थे। अभी तक के विधानसभा चुनाव में अर्जुन यादव ही अकेले विधायक थे जो यहां से निर्दल जीत कर विधानसभा पहुंचे थे।

1991 में जनता दल के लालचंद्र मौर्य, 1993 में बसपा के अरशद खान, 1996 में सपा के अफजाल अहमद, 2002 में भाजपा के सुरेंद्र सिंह, 2007 में सपा के जावेद अंसारी और 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नदीम जावेद यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे।

16 वीं विधानसभा के लिए एक बार फिर चुनावी विरासत बिछ चुकी है। भाजपा ने गिरीश यादव को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने दोबारा नदीम जावेद पर दाव लगाया है। बसपा ने नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष दिनेश टंडन को प्रत्याशी बनाया है। 

 
 

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