सड़क से सोशल मीडिया तक आदित्यनाथ का विरोध

भाजपा में टिकट वितरण के बाद आक्रोश उभर आया है। बुधवार को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पार्टी से ज्यादा सदर सांसद महंत आदित्यनाथ का विरोध दिखा। हाल ही में बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद को ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से टिकट नहीं मिलने पर उनके समर्थकों ने तारामंडल क्षेत्र स्थित उनके आवास के सामने महंत आदित्यनाथ का पुतला फूंका। उनके खिलाफ नारेबाजी की और उन पर टिकट बंटवारे में धांधली का आरोप लगाया।protest_1485376152
 
उधर, पिपराइच में तीन बार भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ चुके राधेश्याम और पूर्व मंत्री जितेंद्र उर्फ पप्पू जायसवाल की पत्नी अनीता जायसवाल के समर्थकों में भी भारी आक्रोश है। मंगलवार को टिकट घोषित होने के बाद से ही दोनों के घरों समेत विभिन्न क्षेत्रों में समर्थकों द्वारा आदित्यनाथ के खिलाफ नारेबाजी की गई। अनीता ने तो बुधवार की दोपहर प्रेस कांफ्रेंस कर निर्दल ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। राधेश्याम का कहना है कि महंत ने उन्हें आश्वासन दिया था। 22 साल से वे पार्टी का झोला ढो रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें दरकिनार कर दिया गया। निष्ठा और समर्पण का कोई मोल नहीं मिला। चौरीचौरा में भी पार्टी कार्यकर्ताओं में प्रत्याशी बनाई गई संगीता चौधरी को लेकर काफी नाराजगी है। तमाम कार्यकर्ता, संगीता को आयातित प्रत्याशी बता रहे हैं। इसी तरफ चिल्लूपार में भी कुछ कार्यकर्ता आदित्यनाथ का विरोध कर रहे हैं। यहीं नहीं सदर सांसद के करीबी माने जाने वाले कई लोगों ने तो सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणी कर कर डाली है। 

षडयंत्र करके मेरे पति को जेल भेजवाया और अब मेरा टिकट कटवा दिया। मेरे पति ने कई बार पिपराइच से चुनाव लड़ा और जीतकर क्षेत्र की जनता की सेवा भी की। पिपराइच विधानसभा मेरा परिवार है और इसकी सेवा करना हमारा धर्म। जनता हमारे साथ है और इसीलिए मैने निर्दल चुनाव लड़ने का फैसला किया है। भाजपा को एक महिला की जीत पर भरोसा नहीं है, उनकी इस धारणा को क्षेत्र की जनता बदल देगी।
– अनीता जायसवाल

आदित्यनाथ, मुझसे राजनीतिक खतरा महसूस कर रहे थे। यही वजह है कि कमजोर कैंडिडेट की पैरवी कर उन्होंने मेरा टिकट कटवा दिया। वह पार्टी को खत्म कर रहे हैं और पार्टी भी अब सिर्फ उन्हें ढो ही रही है।  मैं तो चौरीचौरा से भी चुनाव लड़ने को तैयार था मगर वहां से ऐसी महिला को टिकट दिया गया जिसे कार्यकर्ता ही नहीं जानते। भाजपा जिले में एक भी सीट नहीं जीतेगी। खास कर ग्रामीण और चौरीचौरा विधानसभा। दोनों में से भाजपा का एक भी प्रत्याशी जीता तो मैं राजनीति से सन्यास ले लूंगा । चुनाव लड़ूंगा या नहीं इसका फैसला 28 को होगा। उस दिन अपने सभी समर्थकों की बैठक बुलाई है

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