काले धन के लिए सुरक्षित स्थान कहे जाने वाले प्रॉपर्टी मार्केट में नोटबंदी के बाद से ही ग्राहकों का टोटा है। डिवेलपर्स के मुताबिक बीते तीन महीनों में ग्राहक करीब 50 पर्सेंट तक कम हो गए हैं। अब रीयलटी सेक्टर के लोगों की उम्मीद आने वाले दिनों में ‘वाइट मनी’ वाले निवेशकों पर ही टिकी हैं। घरों के बाजार में निवेश करने वाले लोग फिलहाल पैसा निकालने से बच रहे हैं। इन लोगों का मानना है कि आने वाले दिनों में ब्याज दरें और कम होंगी। इसके अलावा नोटबंदी के असर से प्रॉपर्टी मार्केट में भी कीमतें गिरेंगी।
इंडस्ट्री डेटा के मुताबिक काले धन को खपाने के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले रीसेल और सेकंडरी मार्केट में सबसे कम कस्टमर्स आ रहे हैं। यही नहीं प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन में भी तेज गिरावट आई है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक, ‘नोटबंदी के बाद से अब तक डिवेलपर्स को 22,600 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इसके अलावा राज्य सरकारों को स्टांप ड्यूटी के तौर पर 1,200 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।’
चेन्नै, कोलकाता, हैदराबाद, पुणे और मुंबई से लेकर एनसीआर तक के तमाम डिवेलपर्स के टॉप अधिकारियों ने माना कि नोटबंदी के बाद मार्केट पर बड़ा असर पड़ा है। हालांकि डिवेलपर्स को लॉन्ग टर्म में फायदे की उम्मीद है और भविष्य में बैंकिंग चैनल के जरिए ही डील्स होंगी। हालांकि कई डिवेलपर्स और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स ने कहा कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि ब्लैक मनी का पूरी तरह सफाया हो चुका है। हां, यह सही है कि अब कैश ट्रांजैक्शंस करना मुश्किल होगा।