लिंगायत समुदाय के मजबूत नेता बीएस येदियुरप्पा बने बीजेपी की कमजोरी, सीएम पद से हटाना पड़ सकता है भारी

कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी को लेकर अभी तक संशय बरकरार है। बीएस येदियुरप्पा के दिल्ली आकर पीएम मोदी सहित बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद से ही उनकी कुर्सी जाने को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि चार बार के मुख्यमंत्री और लिंगायत समुदाय के दिग्गज नेता येदियुरप्पा को हटाकर किसी और समुदाय के नेता को लाने से बीजेपी को कर्नाटक के अगले चुनावों में नुकसान हो सकता है। 

हालांकि, सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर आलाकमान की ओर से किसी गैर-लिंगायत समुदाय के नेता को सीएम पद के लिए चुना जाएगा, तो पार्टी की प्रदेश इकाई इसे भी बिना आपत्ति स्वीकार कर लेगी, लेकिन इस फैसले से राज्य में बीजेपी की स्थिति पर असर पड़ सकता है।

कर्नाटक बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘येदियुरप्पा जी मुख्यमंत्री हैं। अगर लिंगायत समुदाय से बाहर के किसी नेता को भी यह पद मिलता है तो इसे सब स्वीकार कर लेंगे, लेकिन इससे बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है।’

बीजेपी की स्थिति का फायदा कांग्रेस को मिलने के सवाल पर पार्टी नेता ने कहा, ‘नहीं, कांग्रेस कई कैंपों में बंटी हुई हैं। अभी कांग्रेस के चार ग्रुप हैं, चुनाव आने तक यह 10 हो जाएंगे।’

बता दें कि लिंगायत समुदाय का कर्नाटक में सबसे ज्यादा दबदबा है। राज्य में सबसे ज्यादा करीब 17 फीसदी आबादी इसी समुदाय की है। इस समुदाय को बीजेपी और येदियुरप्पा का पक्का समर्थक माना जाता है। यह समुदाय समाज में समानता के लिए लड़ने वाले बसवन्ना को देवता मानता है। राज्य में करीब 35 से 40 फीसदी विधानसभा सीटों की हार-जीत का फैसला इस समुदाय के हाथ में है।

बता दें कि कर्नाटक सीएम को लेकर आज फैसला हो सकता है। खुद येदियुरप्पा ने यह कहा था कि पार्टी आलाकमान सोमवार तक इस मसले पर फैसला ले सकता है। हालांकि, बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने रविवार को येदियुरप्पा की तारीफ करते हुए कर्नाटक में किसी भी तरह के राजनीतिक संकट की अटकलों को खारिज किया था। उन्होंने कहा था कि येदियुरप्पा अच्छा काम कर रहे हैं।

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