करगिल युद्ध को 22 साल पूरे हो गए हैं। सन् 1999 की गर्मियों में जब युद्ध छिड़ा था तब जनरल वीपी मलिक भारत के सैन्य प्रमुख थे। जनरल वीपी मलिक मानते हैं कि इसने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते को एकदम बदलकर रख दिया। हालांकि, इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को खदेड़ कर रख दिया था लेकिन एक मलाल जनरल वीपी मलिक के मन में आज भी बरकरार है।जनरल वीपी मलिक का मानना है कि सीजफायर का ऐलान करने से पहले ही भारत सरकार को अपनी सेना को एलओसी से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत दे देनी चाहिए थी। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान जनरल वीपी मलिक ने कहा, ‘जब युद्ध शुरू हुआ तब हमें कुछ भी नहीं पता था और हम पाकिस्तान की ओर से अचानक पैदा की गई स्थिति का सामना कर रहे थे। खुफिया तंत्र और सर्विलांस के फेल्योर की वजह से सरकार के अंदर घुसपैठियों की पहचान को लेकर काफी भ्रम की स्थिति थी। हमारी फ्रंटलाइन फॉर्मेशन घुसपैठ का पता लगाने में नाकामयाब रही थी और हमें उनकी लोकेशन के बारे में कुछ पता नहीं था। कुछ समय बाद भारतीय सेना करगिल में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हुई, तब उन्हें (सरकार) संघर्षविराम पर राजी होने से पहले, हमें LoC से सटे कुछ पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत देनी चाहिए थी।’जनरल वीपी मलिक ने बताया कि कैसे करगिल युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच सुरक्षा संबंधी रिश्तों के लिए टर्निंग पॉइंट बना। उन्होंने बताया कि इस हरकत के बाद भारत का पाकिस्तान पर से भरोसा पूरी तरह से उठ गया। भारत को अब पता था कि पाकिस्तान बड़ी ही आसानी से किसी भी समझौते को तोड़ सकता है। उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी के लिए भी यह बहुत बड़ा झटका था, जिन्हें यह समझने में थोड़ा वक्त लगा कि घुसपैठिए पाकिस्तानी आम नागरिक नहीं बल्कि वहां की सेना के जवान थे। वाजपेयी ने उस समय अपने पाकिस्तानी समकक्ष रहे नवाज शरीफ से कहा था, ‘आपने पीठ में छुरा घोंप दिया।’ मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले को लेकर जनरल मलिक ने कहा, ‘अगर पाकिस्तान फिर से ऐसी हरकत करता है तो भारत को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। इससे पाकिस्तान में डर पैदा होगा, जिसकी उसे समय-समय पर जरूरत है।’