पिछले एक साल से भी अधिक समय से दुनिया को अपनी गिरफ्त में लेने वाली कोविड-19 महामारी के भय के बीच 32वें ओलंपिक खेलों की एक साल लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को टोक्यों में जापानी संस्कृति और परंपराओं की झलक दिखाने वाले रंगारंग उद्घाटन समारोह के साथ शुरुआत हो गई। जापान के सम्राट नारूहितो खेलों का उद्घाटन करने के लिए टोक्यो में उपस्थित थे। एक महीने पहले ही उन्होंने ओलंपिक के दौरान कोरोना वायरस फैलने को लेकर चिंता जताई थी।
दर्शकों के बिना आयोजित किए जा रहे ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में भी भावनाओं का ज्वार उमड़ता दिखा और ऐसे में भावनाओं से एकजुट की इसकी विषय वस्तु भी कार्यक्रम के अनुकूल रही। टोक्यो में जब रात घिर आयी थी तब यहां का ओलंपिक स्टेडियम दमक रहा था जिससे उठी नई उम्मीद की धमक पूरे दुनिया में सुनाई दे रही थी। महामारी के कारण सभी देशों के कम खिलाड़ियों ने मार्च-पास्ट में हिस्सा लिया। कुछ खिलाड़ियों के अगले दिन प्रतियोगिताएं होने और बीमारी के संक्रमण से बचने के लिए समारोह में भाग नहीं लिया।
भारत 25वीं बार ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रहा है और इस बार उसने अपना सबसे बड़ा दल उतारा है। ओलंपिक मार्च पास्ट की शुरुआत हमेशा की तरह यूनान से हुई जहां पहले ओलंपिक खेल हुए थे। भारतीय दल जापानी वर्णमाला के अनुसार 21वें नंबर पर आया। पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह और छह बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरीकॉम के हाथों में तिरंगा लहरा रहा था और उनके साथ भारत के अन्य खिलाड़ियों और छह अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान और जोश दिख रहा था। भारत के 127 खिलाड़ियों सहित 228 सदस्यीय दल ओलंपिक में भाग ले रहा है लेकिन इनमें से केवल 20 खिलाड़ियों को उद्घाटन समारोह में भाग लिया। जब उद्घाटन समारोह चल रहा था उस समय भी स्टेडियम के बाहर प्रदर्शनकारी ओलंपिक आयोजन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस को उन्हें हटाने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी।
टोक्यो दूसरी बार ओलंपिक की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले उसने 1964 में ओलंपिक का सफल आयोजन किया था, लेकिन उद्घाटन समारोह में शुरू में उस दिन को याद किया गया जब 2013 में उसने मेजबानी हासिल की थी। समारोह की शुरुआत तोक्यो 2020 के प्रतीक को प्रदर्शित करने के लिए 20 सेकेंड तक नीली और सफेद रंग की आतिशबाजी के साथ की गयी जिसे जापानी संस्कृति में शुभ माना जाता है। समारोह में विविधता में एकता, शांति और एकजुटता पर विशेष ध्यान दिया गया। स्वस्थ रहना है तो अच्छी फिटनेस आवश्यक है का संदेश देता नृत्य आकर्षक था। ट्रेडमिल पर दौड़ती अकेली महिला अरिसा सुबाता संदेश दे रही थी खिलाड़ियों ने महामारी के दौरान भले ही अकेले अभ्यास किया लेकिन वे रुके नहीं, वे हारे नहीं। सुबाता नर्स भी हैं और मुक्केबाज भी।
जापान के सम्राट नारूहितो इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी (आईओसी) के प्रमुख थामस बाक के साथ स्टेडियम में पहुंचे। इसके बाद स्टेडियम में जापान का ध्वज फहराया गया। जापान का ध्वज लेकर चलने वालों में एक स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल था और इस तरह से महामारी के दौरान चिकित्साकर्मियों के योगदान को सराहा गया। उद्घाटन समारोह के दौरान उन लोगों और पूर्व ओलंपियनों को भी याद किया गया जिनका कोविड-19 महामारी के कारण जान गंवाई। इस दौरान म्यूनिख 1972 ओलंपिक में आतंकवादी हमले में मारे गए इजरायली खिलाड़ियों,2011 के भूकंप और सुनामी में मारेगए लोगों का भी उल्लेख किया गया। इन सभी की याद में एक मिनट का मौन रखा गया। जापान की प्रसिद्ध गायिका मिसिया ने राष्ट्रगान गाया।
ओलंपिक के पांच चक्र भी रंगारंग कार्यक्रम के बीच स्टेडियम में लाए गए। इन रिंग को उन पेड़ों से तैयार किया गया है जिन्हें ओलंपिक 1964 के दौरान जापान के खिलाड़ियों ने लगाया था। खेलों में योगदान देने के लिए आईओसी ने बांग्लादेश के नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को ‘द ओलंपिक लॉरेल से सम्मानित किया। उद्घाटन समारोह में दर्शकों को आने की अनुमति नहीं देने का फैसला कई सप्ताह पहले किया था। इसको देखने के लिए स्टेडियम में 1000 हस्तियां ही उपस्थित थी जिसमें अमेरिका की पहली महिला जिल बाइडेन भी शामिल हैं। समारोह का आकर्षण निश्चित तौर पर वे खिलाड़ी थे जो पिछले एक साल से महामारी और आशंकाओं के बीच अपनी तैयारियां कर रहे थे।