पिछले महीने बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर विमानन कंपनियों को उड़ाने रद्द कर करनी पड़ी हैं। कुल रद्द हुई उड़ानों में से 25 फीसदी सिर्फ मौसम की वजह से हुई हैं। इनमें हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं। चार्टर्ड सेवा देने वाली कंपनी एयर टैक्सी की सबसे ज्यादा 67 फीसदी उड़ाने रद्द हुईं तो हेलिकॉप्टर सेवाएं देने वाली पवन हंस ने 42 फीसदी उड़ानें रद्द कीं।
इसके अलावा एयर इंडिया की सवा चार फीसदी, वहीं इंडिगो, एयर एशिया, विस्तारा, स्पाइस जेट की रद्द हुई उड़ानों की तादाद 1-2 फीसदी के बीच में है। मई महीने में मौसम की वजह से रद्द होने वाली उड़ानों की तादाद 17 फीसदी ही थी। डीजीसीए की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक वाणिज्यिक वजहों से भी 45 फीसदी उड़ाने रदद् हुई हैं। इन का आंकड़ा पिछले महीने 68 फीसदी हुआ करता था।
इसके अलावा 8 फीसदी उड़ानें तकनीकी वजहों से और 2 फीसदी ऑपरेशन कारणों से रद्द हुईं। अलग-अलग वजहों से 18 फीसदी रद्द हुई उड़ानों की कैटेगरी तय नहीं है। हालांकि मई के मुकाबले कैंसिलेशन के कुल मामले जरूर घटे हैं। मई में कैंसिलेशन दर साढ़े सात फीसदी थी जो जून में घटकर तीन फीसदी के करीब पहुंच गई है।
शिकायतों का लगा अंबार
पिछले कई महीनों से विमानन कंपनियों के खिलाफ रिफंड को लेकर शिकायतों का लगा अंबार घटने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 3 महीने से आने वाली कुल शिकायतों में से आधी रिफंड से ही जुड़ी होती हैं। अप्रैल में रिफंड को लेकर 76 फीसदी शिकायतें आईं। वहीं मई में ये 54 और जून में 52 फीसदी पर अटकी हुई हैं।
यात्रियों की बढ़ने लगी संख्या
मई से से तुलना की जाए तो हवाई यात्रियों की संख्या 21.15 लाख से बढ़कर जून में कुल 31.13 लाख पर पहुंच गई है। वहीं पिछले साल के शुरुआती 6 महीने की तुलना में भी अंतर सिर्फ 2.4 फीसदी का ही बचा है। जनवरी से जून 2020 में घरेलू एयरलाइंस में 351.78 लाख यात्रियों ने सफर किया था जबकि इस सााल के 6 महीनों में 343.37 लाख यात्री सफर कर चुके हैं।