देश की दो दिग्गज टेलीकॉम कंपनी- भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के मामले में बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल और वोडाफोन की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें एजीआर कैल्कुलेशन में सुधार की अपील की गई थी।
आपको बता दें कि इस साल जनवरी में, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने एजीआर बकाया राशि की गणना में “गणितीय त्रुटियों” का हवाला देते हुए, दोबारा कैल्कुलेशन का निर्देश देने की अपील की थी। ये कंपनियां चाहती थीं कि सुप्रीम कोर्ट, दूरसंचार विभाग (DoT) को निर्देश दे लेकिन अब कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
मुसीबत बना एजीआर बकाया: दरअसल, टेलीकॉम कंपनियों के लिए एजीआर बकाया मुसीबत बन चुका है। इस मुसीबत की शुरुआत साल 2019 से हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) के हित में फैसला सुनाते हुए टेलीकॉम कंपनियों से करीब 1 लाख करोड़ रुपए का एजीआर बकाया देने को कहा। कोर्ट के फैसले का सबसे ज्यादा असर वोडाफोन आइडिया और एयरटेल पर पड़ा है, क्योंकि इन दोनों कंपनियों पर ही कुल रकम का दो तिहाई बकाया है। इस वजह से टेलीकॉम कंपनियों पर वित्तीय बोझ भी बढ़ गया है।
10 साल की दी थी मोहलत: हालांकि,टेलीकॉम कंपनियों की अपील के बाद पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज को कुछ शर्तों के साथ 10 साल का समय दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 31 मार्च, 2021 तक बकाए का 10 फीसदी भुगतान करने को कहा था।
क्या होता है एजीआर: एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) एक तरह की यूजेज और लाइसेंसिग फीस है। ये फीस संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा लिया जाता है। दूरसंचार विभाग पिछले कई सालों का बकाया मांग रहा है, जिसे देने में टेलीकॉम कंपनियां आनाकानी कर रह थीं। हालांकि, साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब टेलीकॉम कंपनियां बकाया रकम देने को तो तैयार हैं लेकिन इसके साथ ही अलग-अलग तरह से छूट मांग रही हैं।