डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक यह नहीं पता लग सका है कि आखिरकार दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका या यूं कह लें कि चीन चाहता ही नहीं कि दुनिया में कोई यह जान सके। तमाम रिपोर्टों में यह दावा किया जा चुका है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला लेकिन ड्रैगन ने इस थ्योरी को बेकार साबित करने की कोई भी कोशिश नहीं छोड़ी है। अब एक बार फिर से चीन ने लैब थ्योरी की जांच को न सिर्फ कॉमन सेंस का अपमान बताया है बल्कि उसने इसे विज्ञान के प्रति अहंकारी रवैया भी करार दिया है।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शुक्रवार को कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए दूसरे चरण की अंतरराष्ट्रीय जांच की बात की। डब्लूएचओ ने यह भी कहा कि इस बार चीन के लैबों की जांच भी की जानी चाहिए। दरअसल, अमेरिका और अन्य देशों की ओर से चीन के वुहान इंस्टि्ट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की जांच कराए जाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। इसी सप्ताहंत में अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमन चीन के दौरे पर भी रहने वाली हैं।
डब्लूएचओ चीफ टेड्रॉस एडनॉम की ओर से दिए गए जांच प्रस्ताव में चीन के ऐसे लैबों के दौरे की भी बात कही गई, जो उन इलाकों में हैं, जहां साल 2019 में पहली बार इस वायरस के मामले सामने आए थे, यानी चीन के वुहान का लैब।
चीन के उप स्वास्थ्य मंत्री जेंग यीशिन ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि वह इस प्रस्ताव से बेहद हैरान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव न सिर्फ कॉमन सेंस यानी की व्यावहारिक समझ का अपमान है बल्कि विज्ञान के प्रति अहंकारी रवैया भी दिखाता है।
बता दें कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया था कि कोरोना महामारी का पहला मामला दर्ज होने से पहले ही चीन की वुहान लैब के कुछ वैज्ञानिक बीमार पड़े थे और इनमें कोविड जैसे ही लक्षण देखे गए। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि बीमार पड़े कुछ वैज्ञानिकों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इसके बाद भी चीन ने लैब लीक की थ्योरी को बेतुका बताकर खारिज कर दिया था।