मकर संक्रांति पर्व को अभी एक सप्ताह बाद है। लेकिन गोरखनाथ मंदिर का नजारा अभी से बदल गया है। मेला परिसर में भीड़ अभी से उमड़नी शुरू हो गई है। कहीं झूला, कहीं चरखी तो कहीं मौत के कुएं में कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।मेले को लेकर मंदिर और जिला प्रशासन की तरफ से एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसका पूरा इंतजाम मंदिर की तरफ से किया जाता है। प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। मेले में थाने के अलावा कई पुलिस चौकियां स्थापित की जाती हैं। सुरक्षा के मद्दे नजर जगह-जगह सीसी कैमरे लगाए जा रहे हैं। मंदिर की तरफ से इस समय बैरिकेडिंग सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। मेले में जगह -जगह दुकानें सज गई हैं।
खिचड़ी के दिन देश के कोने-कोने व नेपाल से भी भारी संख्या में लोग खिंचड़ी चढ़ाने आते हैं। मेले में चरखी और झूले एक सप्ताह से चल रहे हैं। मौत का कुंआ और ब्रेक डांस जैसे झूलों पर बच्चों और युवाओं का जमावड़ा हो रहा है। मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर में बोटिंग का आनंद लोग ले रहे हैं। पूरा मंदिर परिसर अभी से जगमगाने लगा है। बस लोगों को खिचड़ी का इंतजार है।मकर संक्रांति पर्व को अभी एक सप्ताह बाद है। लेकिन गोरखनाथ मंदिर का नजारा अभी से बदल गया है। मेला परिसर में भीड़ अभी से उमड़नी शुरू हो गई है। कहीं झूला, कहीं चरखी तो कहीं मौत के कुएं में कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।मेले को लेकर मंदिर और जिला प्रशासन की तरफ से एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो इसका पूरा इंतजाम मंदिर की तरफ से किया जाता है। प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। मेले में थाने के अलावा कई पुलिस चौकियां स्थापित की जाती हैं। सुरक्षा के मद्दे नजर जगह-जगह सीसी कैमरे लगाए जा रहे हैं। मंदिर की तरफ से इस समय बैरिकेडिंग सहित अन्य सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं। मेले में जगह -जगह दुकानें सज गई हैं।
खिचड़ी के दिन देश के कोने-कोने व नेपाल से भी भारी संख्या में लोग खिंचड़ी चढ़ाने आते हैं। मेले में चरखी और झूले एक सप्ताह से चल रहे हैं। मौत का कुंआ और ब्रेक डांस जैसे झूलों पर बच्चों और युवाओं का जमावड़ा हो रहा है। मंदिर परिसर में स्थित भीम सरोवर में बोटिंग का आनंद लोग ले रहे हैं। पूरा मंदिर परिसर अभी से जगमगाने लगा है। बस लोगों को खिचड़ी का इंतजार है।