दिल्‍ली के मंत्री का सुझाव, यूपीएससी इंटरव्‍यू बोर्ड को नहीं पता होनी चाहिए उम्मीदवार की जाति

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के इंटरव्यू में जाति अधारित भेदभाव की शिकायतों के बीच दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने शुक्रवार को आयोग को पत्र लिख कर सुझाव दिया कि इंटरव्यू बोर्ड को अभ्यर्थियों की जाति से अवगत नहीं कराया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इंटरव्यू देने वाले अभ्यर्थियों का चयन आरक्षित और सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को अलग-अलग हिस्सों में बांटने के बजाय पूर्वनिर्धारित योजना के बगैर किया जाए। 

उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) अध्यक्ष प्रदीप कुमार जोशी को लिखे एक पत्र में कहा, ”कई अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को पर्सनल इंटरव्यू के अंक देने में सिस्टेमेटिक भेदभाव है।” 
     
मंत्री ने इंटरव्यू प्रक्रिया के दौरान आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के खिलाफ भेदभाव रोकने के लिए उठाये गये कदमों से भी यूपीएससी को अवगत कराने कहा। 

हर वर्ष यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों — प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार– में आयोजित की जाती है। इसके जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है।

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