विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने माना है कि कोविड-19 महामारी और एक प्रयोगशाला लीक के बीच तार जुड़े होने की संभावना को खारिज करना जल्दबाजी होगी। उन्होंने गुरुवार को कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के बीच वह चीन से और अधिक पारदर्शिता बरतने को कह रहे हैं। शुरुआत में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस का रुख इस मामले में अलग था, जबकि कई देश शुरू से इस मामले में चीन को संदेह की निगाह से देखते आ रहे हैं। गौरतलब है कि मनुष्य में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला चीन के शहर वुहान में सामने आया था।
टेड्रोस ने संवाददाताओं से कहा कि जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी चीन से उन सूचनाओं और आंकड़ों पर पारदर्शिता बरतने और सहयोग करने को कह रही है जो हमने महामारी के शुरुआती दिनों में मांगे थे। उन्होंने कहा कि इस बात को खारिज करने में जल्दबाजी दिखाई गयी कि वायरस वुहान में चीन सरकार की प्रयोगशाला से निकला है। उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ ने मार्च माह में दी रिपोर्ट में कहा था कि वायरस प्रयोगशाला से निकलने की संभावना बहुत ही कम है। टेड्रोस ने कहा, ”यह सामान्य बात है। मैं खुद लैब टेक्नीशियन रहा हूं, मैं इम्युनोलॉजिस्ट हूं और मैंने प्रयोगशालाओं में काम किया है। प्रयोगशाला में हादसे होते हैं। हाल के महीनों में इस विचार को बल मिला है कि वैश्विक महामारी संभवत: प्रयोगशाला से निकली है और संभवत: वायरस को बनाया गया है। खासकर इसलिए भी क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई में अमेरिका को प्राप्त खुफिया जानकारियों की समीक्षा इस आशंका के लिहाज से भी करने को कहा था।
वहीं ज्यादातर वैज्ञानिकों को संदेह है कि कोरोना वायरस चमगादड़ों के जरिए पैदा हुआ है लेकिन यह मानव तक किसी तरह पहुंचा इस बारे में कुछ निश्चित नहीं पता चल पाया। टेड्रोस ने कहा कि ‘हमारी प्रयोगशालाओं में क्या हुआ यह देखना बहुत जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वैश्विक महामारी का प्रयोगशाला से कोई संबंध है या नहीं। उन्होंने कहा कि हमें जानकारी चाहिए, सीधी जानकारी वैश्विक महामारी शुरू होने से पहले और बाद में इस प्रयोगशाला की स्थिति क्या थी। उन्होंने कहा कि चीन का सहयोग बेहद महत्वपूर्ण है और यदि हमें पूरी जानकारी मिलती है तो हम प्रयोगशाला से संबंध की आशंका को खारिज कर सकते हैं।