दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने सोमवार को कहा कि दिल्ली स्थित इजरायल दूतावास विस्फोट मामले में लद्दाख से गिरफ्तार किए गए चार संदिग्धों के साइको एनालिसिस टेस्ट में पाया गया कि उनमें से दो आरोपी विस्फोट में उनकी भूमिका के संबंध में “आंशिक सच” बोल रहे थे।
चारों आरोपियों को इजराइल दूतावास विस्फोट मामले के साथ ही राजधानी दिल्ली में आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने की साजिश के तहत एक अलग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, घटना के दिन चारों आरोपी दिल्ली में थे, उनके फोन बंद थे और विस्फोट के बाद वे सभी शहर छोड़कर चले गए। पुलिस सूत्रों ने कहा कि ये छात्र सोशल मीडिया पर एक्टिव थे और फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष पर लगातार कमेंट कर रहे थे। इस रिपोर्ट के अलावा स्पेशल सेल के पास इन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
चारों आरोपियों को 24 जून को कारगिल से गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली पुलिस की एक टीम चारों छात्रों को गिरफ्तार करने के लिए कारगिल गई और बाद में उन्हें दिल्ली लाने के लिए एक स्थानीय अदालत से ट्रांजिट रिमांड प्राप्त किया।
पुलिस ने एक बयान में कहा कि गिरफ्तार किए गए आरोपी- नजीर हुसैन (26), जुल्फिकार अली वजीर (25), अयाज हुसैन (28) और मुजम्मिल हुसैन (25) सभी लद्दाख के कारगिल जिले के थांग गांव के रहने वाले हैं। पुलिस ने कहा कि ये लोग कथित तौर पर राजधानी दिल्ली में आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने की साजिश रच रहे थे।
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) 29 जनवरी को इजरायली दूतावास के पास हुए विस्फोट की मुख्य जांच कर रही है। विस्फोट के दौरान राजधानी में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर दूतावास के आसपास खड़ी कई कारों के शीशे क्षतिग्रस्त पाए गए।
उस समय, सूत्रों ने पुष्टि की थी कि विस्फोट के लिए अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था और कहा कि यह विस्फोट किसी “बड़ी साजिश” का ट्रायल हो सकता है।