बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने रविवार को अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए उपहार के रूप में 2600 किलोग्राम आम भेजा है। बांग्लादेशी अधिकारियों के अनुसार रंगपुर जिले में उगाए जाने वाले हरिभंगा किस्म के आमों को बेनापोल चेक पोस्ट के माध्यम से भारत भेजा गया है।
बेनापोल कस्टम हाउस के डिप्टी कमिश्नर अनुपम चकमा ने बांग्लादेशी मीडिया को बताया कि आम दोनों देशों के बीच दोस्ती की निशानी है। बांग्लादेश की ओर से भेजे गए आम को कोलकाता में बांग्लादेश के उप-उच्चायोग के पहले सचिव मोहम्मद समीउल कादर ने रिसीव किया, जिसे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा जाएगा।
रविवार दोपहर भारत पहुंच गए आम
सीमा शुल्क और बंदरगाह की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बांग्लादेशी ट्रक 260 कार्टून आमों को लेकर रविवार दोपहर सीमा पार कर गया। बेनापोल नगरपालिका के मेयर अशरफुल आलम लिटन सहित कई वरिष्ठ बांग्लादेशी अधिकारी बॉर्डर पर मौजूद थे। बांग्लादेशी मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि हसीना की योजना पूर्वोत्तर राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों को आम भेजने की है, जिनकी सीमा बांग्लादेश से लगती है।
राजनीति का हिस्सा रहा है मैंगो डिप्लोमेसी
पिछले साल, बांग्लादेश ने अपने व्यापारियों को दुर्गा पूजा के अवसर पर लगभग 1,500 टन हिल्सा मछली निर्यात करने की विशेष अनुमति दी थी, जो सीमा के दोनों तरफ के लोगों की पसंदीदा है। जहां तक बात मैंगो डिप्लोमेसी की है तो यह उपमहाद्वीप की राजनीति का हिस्सा है, लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच यह आम बात रही है। पूर्व तानाशाह जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ और पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक उन पाकिस्तानी नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय नेतृत्व को आम तोहफे के रूप में भेजा था।
टीके की निर्यात पर रोक से बढ़ गई है बेचौनी
हसीना की ओर से यह उपहार ऐसे समय में आया है जब मार्च के अंत से भारत की ओर से कोरोना टीके के निर्यात को रोकने को लेकर बांग्लादेशी पक्ष में बेचैनी बढ़ रही है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ एक समझौते के तहत, बांग्लादेश को इस साल की पहली छमाही के दौरान हर महीने कोविशील्ड की पांच मिलियन खुराक प्राप्त करनी थी।
भारत की रही है ‘पहले पड़ोसी’ की नीति
कोविशील्ड की पहली खुराक प्राप्त करने वाले लगभग 15 लाख बांग्लादेशी नागरिक अभी भी दूसरी डोज की प्रतीक्षा कर रहे हैं, और ढाका को टीकों के लिए रूसी और चीनी फर्मों की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बता दें कि भारत बांग्लादेश को ‘पहले पड़ोसी’ की नीति से देखता है और इस साल मार्च में कोरोना संकट के बाद भी पीएम मोदी वहां के दौरा पर गए थे।