विधानसभा चुनाव 2022 से पहले वेस्ट यूपी में भगवा परचम लहरा गया है। पश्चिम क्षेत्र की 14 सीटों में से 13 पर जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में भाजपा सफल रही है। पंचायत चुनाव में पार्टी भले चूकी थी। पंचायत अध्यक्षों को जिताने में पार्टी ने कामयाबी हासिल की है। इसी कामयाबी को पार्टी 2022 की जीत का आधार बनाकर चुनावी रणनीति पर कदम रखेगी। पंचायत चुनाव में खराब परिणाम से ठिठकी पार्टी ने तुरंत खुद को संभालते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव पर पूरा दम लगा दिया। संगठन से लेकर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में जुटी। कारगर रणनीति, संगठन की सीख और कार्यकर्ताओं की मेहनत से पार्टी ने जीत दर्ज कराई।
14 सीटें, 99 सदस्य, 445 वार्ड नामुमकिन हुआ मुमकिन
भाजपा पश्चिम क्षेत्र में 14 जिला पंचायत सीटें हैं। इनमें 445 पंचायत सदस्य हैं। 445 में से कुल 99 सदस्य भाजपा के थे। अध्यक्ष के लिए एक तिहाई सदस्य जरूरी है। किसी भी सीट पर पार्टी को बहुमत नहीं था। पार्टी और संगठन की जोड़, तोड़ रणनीति ने 13 सीटों पर अध्यक्ष बना लिया। 7 सीटों पर निर्विरोध और 6 पर चुनाव से जीत दर्ज कराई। निर्दलीयों की इस जीत में बड़ी भूमिका हर जिले में रही। 14 सीटों में से 7 सीटों मेरठ, बुलन्दशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, अमरोहा, सहारनपुर में निर्विरोध जीत चुकी थी। शेष 7 में से 6 सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज कराई है।
अध्यक्षों के कांधों पर किसानों की जिम्मेदारी
भाजपा पश्चिम क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनिवाल ने निर्विरोध जीते पंचायत अध्यक्षों को शनिवार को मेरठ में पार्टी के क्षेत्रीय कार्यालय में बुलाकर सम्मानित करने के बहाने स्पष्ट कर दिया कि अब फील्ड में जुट जाएं। गांवों में जाकर योजनाओं का प्रचार करें, प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए जो काम किया है उसका गुणगान करें। 14 में से 13 सीटों पर भाजपा का अध्यक्ष हैं। अब इन अध्यक्षों पर किसानों को साधने की जिम्मेदारी है। कृषि बिल, गेंहू खरीद, गन्ना भुगतान और गन्ना खरीद को लेकर नाराज किसानों को मनाने का मुहरा पंचायत अध्यक्ष बनेंगे। पंचायत अध्यक्षों को अपने इलाके के किसानों के दिल में भाजपा के लिए जगह बनानी होगी। पार्टी किसान हितैषी है यह छवि पंचायत अध्यक्षों को ही किसानों, ग्रामीणों तक पहुंचानी है।
पंचायत चुनाव से संभले विपक्ष को नुकसान
पंचायत चुनाव में वेस्ट यूपी में रालोद, सपा गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया। बसपा ने भी कई जिलों में सीटें निकाली। पंचायत चुनाव में अपनी जीत से संभले विपक्ष को अध्यक्ष चुनाव के बाद एक बार फिर झटका लगा है। विपक्ष ने भाजपा के खिलाफ जो किला बनाया था वो अध्यक्ष पदों पर हुई जीत के बाद धराशायी हो रहा है। एक बार फिर जनता में भाजपा की चर्चा है। जिसका असर 2022 में दिख सकता है।
जिसकी सत्ता उसकी पंचायत
2015 में सूबे में सपा सरकार थी, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। 2015 के जिला पंचायत चुनाव में इन 14 सीटों में से कुल 01 सीट भाजपा ने जीती थी। 2021 में इतिहास ने खुद को दोहराया। जिसकी सत्ता उसकी पंचायत साबित करते हुए 14 में से 13 सीटें भाजपा पर हैं विपक्ष पर 01 सीट हैं।
पिछले और इस बार के चुनाव में किसके पास कितनी सीट
जिला पंचायत अध्यक्ष सीट | 2015 | 2021 |
रामपुर | सपा | भाजपा |
मुरादाबाद | सपा | भाजपा |
संभल | सपा | भाजपा |
अमरोहा | बसपा | भाजपा |
बिजनौर | सपा | भाजपा |
सहारनपुर | बसपा | भाजपा |
मुजफ्फरनगर | भाजपा | भाजपा |
शामली | रालोद | भाजपा |
हापुड़ | सपा | भाजपा |
बागपत | रालोद | रालोद |
गाजियाबाद | निर्दलीय | भाजपा |
गौतमबुद्धनगर | — | भाजपा |
बुलंदशहर | सपा | भाजपा |
मेरठ | सपा | भाजपा |