रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को लद्दाख के कारू मिलिट्री स्टेशन पहुंचे। रक्षा मंत्री ने जवानों से मुलाकात की और उनके साथ नारा भी लगाया। राजनाथ की इस विजिट का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में राजनाथ जवानों के साथ वाहे गुरुजी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह का नारा लगाते दिख रहे हैं। राजनाथ की तीन दिवसीय लद्दाख विजिट का सोमवार को दूसरा दिन है।
रक्षा मंत्री ने जवानों से कहा कि देश कभी भी गलवान के शहीदों को नहीं भूलेगा, जिन्होंने देश की खातिर खुद को बलिदान कर दिया। उन्होंने कहा कि देश की सेनाएं हर खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने की ताकत रखती हैं।
किसी ने धमकाने की कोशिश की तो सहन नहीं करेंगे- राजनाथ
उन्होंने कहा कि पड़ोसियों के साथ हर मसले के लिए बातचीत के जरिए रास्ता निकालने की कोशिश की जानी चाहिए, पर किसी ने भारत को धमकाने और डराने की कोशिश की तो हम इसे सहन नहीं करेंगे। इस दौरान राजनाथ बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के बनाए 63 प्रोजेक्ट का इनॉगरेशन भी किया।
लद्दाख को UT बनाने से यहां के लोग खुश
रक्षा मंत्री ने कहा कि दो साल पहले सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए। जब मैं लद्दाख के लोगों और हमारे सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से बात करता हूं तो मुझे फर्क नजर आता है। उनका कहना है कि लद्दाख के लोग खुश हैं।
लद्दाख को यूनियन टेरेटरी बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? आतंकवाद और सामाजिक-आर्थिक विकास की कमी के कारण। लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही थीं। मुझे नहीं लगता कि कोई संवेदनशील सरकार इसे बर्दाश्त करेगी। केंद्र शासित प्रदेश के गठन के बाद आतंकवाद की गतिविधियां कम हुईं। सेना बहुत अच्दा काम कर रही है।
पहले दिन लेह में जवानों के साथ खाना खाया
रविवार को रक्षा मंत्री सबसे पहले लेह पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व सैनिकों से मुलाकात की। उन्होंने यहां पर जवानों के साथ भारत माता की जय का नारा भी लगाया था। उन्होंने कहा कि हमारी सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में कितना सम्मान है, ये बताने की जरूरत नहीं है। 30-40 साल से वन रैंक, वन पेंशन की समस्या चली आ रही थी। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही वन रैंक, वन पेंशन की मांग को पूरा किया।
गलवान के बाद लद्दाख में लगातार टॉप लीडरशिप का दौरा
- पिछले साल जून में गलवान घाटी में भारत के 20 जवानों की शहादत के 8 महीने बाद चीन के साथ समझौता हुआ था। गलवान में चीन के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प के 18 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह पहुंचे थे। उन्होंने जवानों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया था।
- मोदी ने लद्दाख स्थित नीमू बेस पर थलसेना, वायुसेना और ITBP के जवानों से मुलाकात की थी। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी थे।
- मोदी की विजिट के 48 घंटे बाद भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच 2 घंटे वीडियो कॉल हुई थी। इसके बाद चीन की सेनाएं पीछे हटने को राजी हुई थीं।