कांग्रेस ने केंद्र से की मांग, कोरोना से जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिवार को मिले 10 लाख रुपए

कांग्रेस ने कोविड के कारण जान गंवाने वाले परिवारों को सहायता राशि की मांग के संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे को कोरोना पीड़ितों और ‘कोरोना योद्धाओं का अपमान करार देते हुए सोमवार को कहा कि इस महामारी में अपने प्रियजन को खोने वाले हर परिवार को 10 लाख रुपए की मदद प्रदान की जानी चाहिए। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

उन्होंने ट्वीट किया, पेट्रोल-डीज़ल टैक्स वसूली के छोटे से हिस्से से कोविड पीड़ित परिवारों को हर्जाना दिया जा सकता है- ये उनकी ज़रूरत है, अधिकार है। आपदा में जन सहायता के इस अवसर से मोदी सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने संवाददाताओं से कहा, पिछले 16 महीनों में देश का हर नागरिक कोरोना महामारी से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित हुआ है। लेकिन सरकार किसी को सुनने को तैयार नहीं है। उच्चतम न्यायालय में इस सरकार ने जो हलफनामा दायर किया है, उससे लगता है कि उसे देश के नागरिकों की कोई चिंता नहीं है।

वल्लभ ने आरोप लगाया, सरकार ने इसमें ऐसी बातें की हैं जो कोविड से मारे गए लोगों का एवं कोरोना योद्धाओं का अपमान है और इसने कोविड के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर किया है। उन्होंने कहा, साल 2020-21 में करीब चार लाख करोड़ रुपये पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के रूप में लूट लिए। क्या हम कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के लिए इन चार लाख करोड़ रुपये का मात्र 10 फीसदी (40 हजार करोड़ रुपए) खर्च नहीं कर सकते?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, राहुल गांधी जी ने मांग की थी कि कोविड मुआवजा कोष स्थापित किया जाए। हमारी मांग है कि तत्काल कोविड मुआवजा कोष स्थापित किया जाए और हर मृतक के परिवार को इसमें से 10 लाख रुपए की मदद दी जाए। गौरतलब है कि केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि उसके साथ राजकोषीय सामर्थ्य” का कोई मुद्दा नहीं है लेकिन ”राष्ट्र के संसाधनों का तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और सर्वोत्तम उपयोग करने के मद्देनजर कोविड के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान नहीं की जा सकती।

केंद्र ने शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को उन दो जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को कानून के तहत चार-चार लाख रुपए मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति का अनुरोध किया गया था।

केंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर 12 विशिष्ट चिन्हित आपदाओं को लेकर वर्ष 2015 से 2020 के दौरान प्रस्तावित खर्च के दिशा-निर्देशों में कोविड-19 शामिल नहीं है। इन आपदाओं में चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सूनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीट-हमला, पाला और शीत लहर शामिल है।

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