आतंकवाद को लेकर भारत का दबाव पकिस्तान पर भारी पड़ रहा है। भारत द्वारा दिए गए ठोस सबूतों के चलते ही पाकिस्तान एक बार फिर एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हो पाया। वहीं, अब उसपर यूएन द्वारा घोषित आतंकियों पर कार्रवाई को लेकर पहले से ज्यादा दबाव बढ़ गया है।
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान बनावटी कार्रवाई करके खुद को पाक साफ नहीं घोषित कर सकता। क्योंकि अब ज्यादा सख्त तरीके से निगरानी हो रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो छिटपुट देश पाकिस्तान के समर्थन में हैं वे भी आतंकवाद के खिलाफ बने वैश्विक माहौल की वजह से उसका बचाव नहीं कर सकते। चीन भी एससीओ से लेकर ब्रिक्स तक हर जगह भारत की आतंकरोधी रणनीति को स्वीकार करने के लिए बाध्य हुआ है।
सामरिक मामलों के जानकार और विवेकानंद फाउंडेशन के सीनियर फेलो पीके मिश्र का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर भारत की ब्यूह रचना से बच नहीं सकता। भारतीय एजेंसियों ने पुख्ता होमवर्क करके सबूत एकत्र किए हैं और पहले एशिया पैसिफिक समूह और एफएटीएफ की बैठक में शामिल सदस्य देशों के साथ भी इसे साझा किया है। पाकिस्तान ने अपनी तरफ से काफी प्रयास किए। पाक विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को एफएटीएफ के राजनीतिक उपयोग की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन उसकी बेवजह बयानबाजी सबूतों के आगे नहीं चली।
जानकारों का कहना है कि सभी देश अपने पक्ष में और अपने हितों के अनुरूप लॉबिंग करते हैं। लेकिन तथ्य के आधार पर ही फैसला होता है। तथ्य यही हैं कि पाकिस्तान ने यूएन द्वारा घोषित आतंकियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। दूसरे आतंकवादी गतिविधियों के वित्तीय स्रोत को समाप्त करने के लिए भी गंभीर एक्शन नहीं लिए गए हैं। इसका खामियाजा उसे खुद भुगतना पड़ रहा है। अगर पाकिस्तान अभी भी कार्रवाई नहीं करता है तो अक्तूबर में होने वाली बैठक में भी उसकी उम्मीदें धूमिल ही रहेंगी।