कानपुर में बिठूर के ज्योति बधिर विद्यालय के दो और छात्रों का ब्रेनवॉश कर उन्हें धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया गया था। इन मामलों में परिजनों ने आदित्य के शामिल होने का जिक्र किया है। परिजनों के अनुसार उनके बच्चों को धर्मांतरण के लिए पूरी तरह से ब्रेन वॉश कर दिया गया था। उनका स्वभाव ही बदल गया था। ऐसी मुश्किल घड़ी से दोनों ही परिवार बमुश्किल उबर सके थे। एक ने मनोचिकित्सक की भी सलाह ली थी।
केस 1
गोविंद नगर के चरन सिंह कालोनी निवासी ट्रक चालक हरदेव सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी। परिवार में उनकी पत्नी सुनीता, मूक बधिर बेटा तुषार सिंह (17), ऋषभ सिंह, बेटी खुशी सिंह हैं। सुनीता को बोन टीवी है। आठ-नौ माह पहले ऑपरेशन कराया था। सुनीता के अनुसार बेटा तुषार बिठूर के ज्योति बधिर विद्यालय में कक्षा सात का छात्र है। स्कूल में साथ पढ़ने वाला आदित्य गुप्ता उर्फ अब्दुल्ला अक्सर उनके घर आता जाता था। आरोप है कि आदित्य ने उनके बेटे का ब्रेनवॉश कर उसे धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया था। धर्मांतरण के बाद नौकरी, रुपये, गाड़ी, बंगला मिलने का भी प्रलोभन दिया था। सुनीता के अनुसार बेटा धर्मांतरण करने पर अड़ा हुआ था। उसका स्वभाव पूरा ही बदल गया था। बाद में उसे धर्मांतरण न करने के लिए मना लिया था। इसी के बाद से उन्होंने आदित्य को अपने घर आने से मना कर दिया था।
केस 2
गुजैनी के-ब्लॉक निवासी प्रदीप कुमार दुबे की बर्तन की दुकान है। उनके परिवार में पत्नी नीरजा, बेटी दीपांशी और मूकबधिर बेटा दीपांश (17) है। दीपांश भी ज्योति बधिर विद्यालय में ही 10वीं का छात्र है। पिता के अनुसार पिछले लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बेटे के व्यवहार में परिवर्तन देखने को मिला था। छोटी-छोटी बातों में गुस्सा करना, इस्लाम धर्म की बातें करना आम बात हो गई थी। एक दिन दीपांश का मोबाइल चेक किया तो व्हाट्सएप पर तुषार नाम के लड़के की ओर से इस्लाम धर्म को बढ़ावा देने वाली तस्वीरें देख माजरा समझ में आने पर उन्होंने एसीपी गोविंदनगर से शिकायत की थी। एसीपी ने तुषार और दीपांश को कार्यालय में बुलाकर काउंसलिंग की थी। साथ ही मनोचिकित्सक को भी भी दिखाया। पिता के अनुसार तुषार और दीपांश अलग क्लास में पढ़ते थे। दोनों की मुलाकात बस में आते जाते वक्त होती थी। दीपांश आदित्य को नहीं जानता था, लेकिन तुषार आदित्य के संपर्क में था।