बाढ़ और सुखाड़ ने तोड़ी किसानों की कमर, नहीं चुका पा रहे हैं किसान क्रेडिट कार्ड से लिया कर्ज, खाते भी हुए बंद

स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की नई रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 30 फीसदी किसान, किसान क्रेडिट कार्ड से लिया लोन नहीं चुका पा रहे हैं। लंबे समय से लोन वापसी न होने के बाद बैंक ने 7,513 करोड़ की राशि एनपीए यानी नन परफार्मिंग एसेट घोषित कर दी है। इतनी बड़ी संख्या में लोन न चुकाए जाने का कारण किसान बाढ़-सुखाड़ व बाजार का अभाव बता रहे हैं।

स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी यानी एसएलबीसी ने बताया है कि राज्य के किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 11,52,866 किसानों को दिए गए लोन एनपीए हो गए हैं। यानी किसान बैंक को लोन वापस नहीं कर पा रहे हैं। करीब साढ़े 11 लाख किसानों को दी गई यह राशि 7,513 करोड़ है। एसएलबीसी ने बताया है कि राज्य में कुल 37,56,290 किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 24,695 करोड़ रुपये लोन दिया गया था। 

इनमें से कुछ किसानों ने तो लोन चुकता किया और फिर लिया भी, लेकिन 1,15,286 किसान के खाते बंद हो गए। वे न तो लोन चुका पाए और न अपने खाते को ही चालू रख पाए। लोन न चुका पाने वाले किसानों की संख्या कुल लोन लेने वाले किसानों की संख्या का 30.42 फीसदी है।
 
बाढ़-सुखाड़ व बाजार के अभाव ने तोड़ी कमर 
सरैया प्रखंड के विशुनपुर बखरा निवासी किसान ब्रजेश कुमार सिंह बताते हैं कि किसान लोन कैसे चुकाएं। बरसात में बाढ़ आकर फसल डूबो जाती है तो गर्मी में सुखाड़ की चपेट में फसल आ जाती है। कुछ फसल उपजा भी पाते हैं तो सही कीमत नहीं मिलती। सरकारी खरीद में पैक्सों की मनमानी चलती है। 

जिले के हर किसान की यही दशा है। बाढ़ व सुखाड़ के दौरान मिलने वाली सरकारी सहायता न्यूनतम है। फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाता। किसान किसी तरह अनाज उपजा लेता है तो बाजार में मिले भाव से उसकी जरूरत भी पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में बैंक को समय पर पैसा नहीं लौटा पाया और मेरा खाता बंद हो गया। 

दो समस्या से जूझ रहे थे, नीलगाय बनी तीसरी समस्या
कांटी के किसान राजेश कुमार राय बताते हैं कि बाढ़-सुखाड़ की मार झेल रहे जिले के किसानों के सामने अब नीलगाय तीसरी समस्या बन गई है। कड़ी मेहनत से उपजाई गई फसल को वह रात भर में चट कर जाती है। यदि बाढ़, सुखाड़ व नीलगाय से भी फसल बच जाए तो भी उसकी सही कीमत नहीं मिलती। 

व्यवसायी मजबूर किसानों से औने-पौने व कभी-कभी तो उधार भी अनाज खरीद ले जाते हैं। ऐसे में किसान के पास बचता ही क्या है कि वह अपना लोन चुका पाए। हैरानी की बात नहीं होगी यदि किसानें की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे खेत को बंजर छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। इन हालातो में मैं अपना केसीसी लोन नहीं चुका पाया।

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