Ghar Ghar Ration: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र के बीच नया विवाद शुरू हो गया है। इसके पीछे कारण है कि अरविंद केजरीवाल सरकार की घर घर राशन योजना। केंद्र सरकार ने Ghar Ghar Ration पर रोक लगा दी है। उपराज्यपाल से यह सूचना मिली तो आम आदमी पार्टी भड़क गई। उसने आरोप लगाया कि भाजपा ने तमिलनाडु चुनाव में ऐसी ही योजना का ऐलान किया था, लेकिन अब दिल्ली में रोक लगा दी। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि देश में पिज्जा और बर्गर की होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र चाहते तो वह योजना का क्रेडिट ले ले और दिल्ली वासियों तक यह राहत पहुंचाने की अनुमति दे।
केजरीवाल के इस बयान पर भाजपा की ओर से प्रवक्ता संवित पात्रा ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल जी ने इस प्रकार से बात रखी है कि दिल्ली की जनता को उनके अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। जबकि ऐसा नहीं हैं। नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना द्वारा दिल्ली में भी जरूरतमंदों को राशन पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के तहत मई और 5 जून तक दिल्ली को तय कोटे से अधिक 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा गया है। वन नेशन-वन राशन कार्ड का प्रावधान केंद्र सरकार ने किया था। लेकिन दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस कारण हजारों मजदूर आज राशन लेने से वंचित रह गये हैं।
बकौल पात्रा, दिल्ली अभी तक करीब 53,000 मीट्रिक टन अनाज ही अभी तक उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वो जनता को बांट पाए हैं। नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत गेहूं पर अरविदं केजरीवाल जी मात्र 2 रुपये प्रति किलो देते हैं और केंद्र सरकार 23.7 रुपये प्रति किलो देती है। चावल पर केजरीवाल जी मात्र 3 रुपये प्रति किलो देते हैं और केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो देते हैं। अरविंद केजरीवाल जी इसके अतिरिक्त भी राशन बांटना चाहते हैं, तो इसके लिए वो राशन खरीद सकते हैं। जो नोटिफाइड रेट हैं, उस पर राशन खरीदा जा सकता है। इस पर किसी प्रकार की आपत्ति केंद्र सरकार को या किसी को नहीं होगी।
Ghar Ghar Ration: क्या थी योजना, क्यों लगी रोक
शनिवार को खबर आई कि केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार की महत्वाकांक्षी Ghar Ghar Ration (डोर स्टेप डिलीवरी) योजना पर रोक लगा दी है। यह योजना एक हफ्ते बाद लागू होनी थी। केजरीवाल सरकार ने 72 लाख लोगों को उनके घर पर राशन पहुंचाने के लिए यह योजना बनाई थी।दिल्ली सरकार के सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने कहा है कि इस योजना के लिए उसकी मंजूरी नहीं ली गई है। गौरतलब है कि इससे पहले राशन योजना के नाम को लेकर भी केंद्र ने आपत्ति जताते हुए था कि यह योजना केंद्र की नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है। इसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है, न कि राज्य। इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है और न ही इसको किसी और के साथ जोड़ सकती है। इसके बाद दिल्ली सरकार ने योजना का नाम “मुख्यमंत्री घर-घर राशन” योजना से बदलकर “घर-घर राशन” योजना रख दिया था।