Buddha Purnima 2021: बुद्ध पूर्णिमा को भगवान बुद्ध (Lord Gautam Buddha) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा तिथि 26 मई बुधवार को है। बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ साथ हिंदू धर्म को मानने वाले यह मानते हैं कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। यही वजह है कि इतिहास के में वैशाख पूर्णिमा का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। वैशाख पूर्णिमा पर्व न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में बौद्ध धर्मावलंबियों के बीच बड़ी श्रद्धा और आस्था पूर्वक मनाया जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा तिथि- 26 मई 2021 (बुधवार)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 25 मई 2021 को रात 8.29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 26 मई 2021 को शाम 4.43 मिनट तक
बुद्ध पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
बुद्ध पूर्णिमा न केवल बौद्ध धर्म में आस्था रखने वालों के लिए खास है अपितु भारत में सनातन धर्म मानने वालों के लिए भी यह विशेष महत्व रखती है। पौराणिक मान्यता है कि गौतम बुद्ध ने ही भगवान विष्णु के नौवें अवतार हैं। यही कारण है कि सनातन धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा बेहद पवित्र मानी जाती है। देश के कई इलाकों में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग बुद्ध पूर्णिमा को उत्सव के रूप मे मनाते हैं।
ऐसा है बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
भारत के साथ-साथ विदेश में भी सैकड़ों सालों से बुद्ध पूर्णिमा का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को 20वीं सदी से पहले आधिकारिक बौद्ध अवकाश का दर्जा नहीं मिला था, लेकिन वर्ष 1950 में बौद्ध धर्म की चर्चा करने के लिए श्रीलंका में विश्व बौद्ध सभा का आयोजन किया गया, इस आयोजन के बाद बाद इस सभा में बुद्ध पूर्णिमा को आधिकारिक अवकाश बनाने का फैसला हुआ। बुद्ध पूर्णिमा पर्व भगवान बुद्ध के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है।
ऐसे मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
– भारत में बौद्ध मानवता और मनोरंजन की अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है।
– बुद्ध पूर्णिमा पर सूर्योदय होने से पहले पूजा स्थल पर इकट्ठा होकर प्रार्थना और नृत्य किया जाता है।
– कुछ स्थानों पर परेड और शारीरिक व्यायाम करके भी बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है।
– बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद मंदिर और धार्मिक स्थलों पर बौद्ध झंडा फहराया जाता है।
– आधुनिक बौद्ध झंडे का आविष्कार श्रीलंका ने किया है, यह नीले, लाल, सफेद, पीले और नारंगी रंग का होता है।
– बुद्ध पूर्णिमा पर दान देने का भी विशेष महत्व है।
– पिंजरे में कैद पक्षियों वा जानवरों को आजाद किया जाता है।