Corona Fighters। 42 वर्षीय केशव पार्क निवासी व्यवसायी हरीश शर्मा कोरोना संक्रमण से गंभीर बीमार हो गए थे। अस्पताल में बिस्तर की खूब तलाश की लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पाई। इसके चलते उन्होंने घर पर ही डाक्टर की सलाह पर उपचार शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि 20 दिन एक कमरे में बंद रहा। बच्चे सुरक्षित रहे इसके लिए उन्हें बहन के यहां भेज दिया था। शुरुआत में ज्यादा तबीयत खराब होने पर घबरा गया था लेकिन परिवार के सदस्यों और परिचितों ने आत्मविश्वास बढ़ाया तो संक्रमण से डर दूर हो गया। हरीश का कहना है कि बहुत कमजोरी आ गई थी। खाने-पीने पर विशेष ध्यान दिया। घर पर डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने इलाज करने में बहुत मदद की। मुझे लगता है उनकी देखरेख की बदौलत जल्द ठीक हो पाया हूं। दूसरों से भी कहना चाहता हूं कि अगर अस्पताल नहीं मिल पा रहा है तो इलाज में देर न करें। डाक्टर की सलाह से घर पर भी इलाज शुरू कर देना चाहिए।
जब देश ने दी आवाज हमें : दंत रोगियों का इलाज भी पीपीई किट में
कोरोनाकाल में कोरोना मरीजों के अलावा दांत के मरीजों को देखना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। दांत के असहनीय दर्द को पहले तो दवा देकर रोक रहे हैं, बहुत जरूरी होने पर रूट केनाल भी कर रहे हैं। इसके लिए घंटों पीपीई किट भी पहननी पड़ती है। यह कहना है डा. गुंजन चौधरी का। पेशे से दंत चिकित्सक चौधरी बताते हैं कोरोना काल में सजरी पर रोक है लेकिन दांतों के दर्द के मरीजों को देखना पड़ता है। कई मरीजों को आनलाइन ही देखकर उनके दर्द और लक्षण के आधार पर दवा दे रहे हैं, लेकिन जब मरीज का दर्द असहनीय होता है, तो उन्हें क्लीनिक पर बुलाना होता है। सबसे महत्वपूर्ण सर्जरी रूट केनाल की होती है। जिससे लिए कई सीटिंग देनी होती है लेकिन कोरोनाकाल में हम केवल उसे ओपन कर छोड़ देते हैं उससे मरीज का दर्द बंद हो जाता है। हम लोगों को मरीज के काफी पास जाना होता है। इसलिए पीपीई किट और डबल मास्क के साथ फेस शील्ड पहनते हैं। इस मौसम में पीपीई किट पहने रखना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं ताकि वे सही समय पर जांच करवाएं। घर जाने पर विशेष सावधानी बरत रहे हैं, सबसे पहले खुद को सैनिटाइज करते हैं। इसके बाद ही अंदर प्रवेश करते हैं। घर में पत्नी और दो बच्चे हैं, वे भी सभी कोरोना प्रोटोकाल का ध्यान रखते हैं।