कोरोना काल में अंतिम संस्कार के लिए कोविड और नॉन कोविड शवों के दाह की लाइनें लगी हैं। ताजगंज के मोक्षधाम स्थित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार के लिए पहुंचने वाले लोग बड़ी लापरवाही कर रहे हैं। संस्कार के बाद पीपीई किट सहित अन्य सामान वहीं फेंककर जा रहे हैं। विद्युत शवदाह गृह में खराबी से समस्या और बढ़ गई है। इससे समीप के इलाकों में रहने वाले लोग परेशान हैं। यहां से गुजरने वालों ने भी आगरा नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग से समस्या के समाधान को लेकर आग्रह किया है।
श्मशान घाट पर प्रतिदिन सौ से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इनमें कोरोना संक्रमण से मरने वालों के शव भी शामिल होते हैं। इस दौरान शवदाह के लिए आने वाले लोग अपने पीपीई किट और अन्य सामग्री यहां छोड़कर जा रहे हैं। यह सामग्री हवा में उड़कर आसपास के क्षेत्र में फैल रही है। आसपास इलाकों के घरों तक पहुंच रही हैं। इससे लोगों में दहशत है। ऐसे में शहर में संक्रमण और प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है।
लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि कर्मचारियों से पीपीई किट का नियामानुसार निस्तारण कराए। जिससे लोगों को परेशानी न हो। वहीं, नगर निगम को भी सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि वहां पर पीपीई किट या अन्य सामग्री बिखरी पड़ी है तो उसे तुरंत उठाया जाए।
निस्तारण कराए जाने की मांग
श्मशान घाट में करीब एक पखवाड़े से कोरोना संक्रमित शव अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। मरीज के शवों का अंतिम संस्कार कर्मचारी ही पीपीई किट पहनकर कर रहे हैं। ये अंतिम संस्कार के बाद इस्तेमाल पीपीई किट श्मशान घाट के बाहर सड़क पर ही फेंक रहे हैं। मोक्ष धाम के आसपास के इलाकों में रहने वाले बाबूराम, गोपाल, सोनू आदि ने इसे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ बता पीपीई किट को सड़क से हटाकर विधिवत निस्तारण कराए जाने की मांग की है।
कोई तो सुनो फरियाद
ताजगंज इलाके के लोगों के मुताबिक, श्मशान घाट पर लोग सावधानी नहीं रख रहे हैं। शवदाह के बाद पीपीई किट और अन्य सामग्री कई दिनों तक पड़ी रहती हैं। इससे संक्रमण का खतरा रहता है। राकेश, अनुज आदि युवाओं ने बताया कि घाट की अव्यवस्थाओं से परेशानी बढ़ गई है। शिकायत के बाद भी समाधान नहीं हो रहा है।
संक्रमण का खतरा और बढ़ा
संक्रमित लोगों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पर लंबी कतारें लगी रहती हैं। घाट पर जगह कम होने के कारण लोगों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ रही है। वहीं, घाट पर अव्यवस्थाओं का ढेर लगा है। शवों के अंतिम संस्कार के लिए बने सभी प्लेटफॉर्म भरे रहते हैं। लोगों को मजबूरी में खुले में यमुना किनारे अंतिम संस्कार करना पड़ता है। दिन भर शवों के दाह संस्कार से घाट पर गंदगी का अंबार बढ़ा है। यही नहीं, जगह-जगह खुले में इस्तेमाल पीपीई किट और मास्क पड़े रहते हैं, जिस कारण मोक्ष धाम में संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। इलाके के राधेश्याम सिंह, हरमोहन सिंह आदि का कहना है कि आगरा पर इस तरह से संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है।
कोविड और नॉन कोविड का एक ही जगह दाह
मोक्ष धाम पर आम दिनों में रोज 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता था। लेकिन कोरोना की वजह से अब रोज तकरीबन 60 से 70 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है। तीन दिन से विद्युत शवदाह गृह बंद होने से शदाह की संख्या सौ पार हो चुकी है। इसमें कोविड और नॉन कोविड शव शामिल होते हैं। जिस कारण कोविड और नॉन कोविड शवों का दाह संस्कार एक ही जगह पर किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है।
लोगों में बढ़ रही है दहशत
श्मशान घाट पर और पोस्टमार्टम हाउस पर शवों के साथ प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। कर्मचारी पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करते हैं। इस्तेमाल के बाद पीपीई किट को खुले में घाट पर फेंका जा रहा है। इसके अलावा पोस्टमार्टम हाउस पर पुलिस शव को बाडी कवर कर भेजती है। हत्या व दुर्घटना वाले शवों का बाडी कवर खून में सना होता है। पोस्टमार्टम हाउस के बाहर घाट पर खून में सने कपड़ों को भी खुले में फेंक दिया गया है। इससे लोगों में दहशत व्याप्त है।