बिहार के अधिकतर सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन अभियान कोरोना संक्रमण के चलते ठप पड़ गया है। जिन स्कूलों में शिक्षक या कर्मी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं या जिन इलाकों में इसका प्रभाव हैं, वहां तो बच्चों का नामांकन पूरी तरह ठप है। शेष जगहों पर भी आलम यह है कि न तो किसी स्कूल में कोई अभिभावक अपने बच्चों का एडमिशन लेने पहुंच रहे हैं और न ही शिक्षक अनामांकित बच्चों को खोजने टोले-मुहल्ले, गांव-पंचायत में निकल पा रहे हैं।
कोरोना के खौफ का आलम यह है कि स्कूलों में नामांकन को लेकर शिक्षा विभाग के आदेश का अनुपालन राज्य के किसी जिले में नहीं हुआ है। नामांकन के नोडल बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने सभी 38 जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों से नामांकन को लेकर रिपोर्ट की मांग की थी। 26 अप्रैल तक हर हाल में जिलों को यह प्रमाण पत्र देने को कहा गया था कि उनके जिले में 6 साल का एक भी बच्चा अनामांकित नहीं बचा है। पर, सोमवार की शाम तक बीईपी को किसी जिले से यह रिपोर्ट नहीं आई थी। 5 अप्रैल को बीईपी के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह ने सभी डीईओ को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया था। उनसे पहली कक्षा में अपेक्षा के अनुरूप नामांकन नहीं हो पाने के कारण आगे भी नामांकन कराने को कहा गया था। डीईओ को तीन स्तरों -विद्यालय के प्रधान, संकुल संसाधन केन्द्र के समन्वयक, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से यह प्रमाण पत्र प्राप्त करना था कि उनके पोषक क्षेत्र में 6 साल का कोई बच्चा अनामांकित नहीं बचा है। उसके आधार पर उन्हें खुद राज्य मुख्यालय को 26 अप्रैल तक रिपोर्ट भेजनी थी।
पिछले माह चले अभियान में हुए थे 36 लाख नामांकन : शिक्षा विभाग ने 8 मार्च से राज्यभर के 80 हजार सरकारी स्कूलों में नामांकन अभियान चलाया था। पहले अभियान 20 मार्च तक चलना था लेकिन इसे 25 मार्च तक विस्तारित किया गया। कारण कि पहली से आठवीं के बच्चों को बिना परीक्षा प्रोन्नत करने का आदेश ही 16 मार्च को जारी हुआ था। बहरहाल 25 मार्च तक कुल नामांकन उपलब्धि 35.92 लाख थी। पहली में 14 लाख 37 हजार, जबकि कक्षा 9 में तबतक 5 लाख 80 हजार ही नामांकन हुए थे। पूर्व के वर्षों में दोनों कक्षाओं को मिलाकर ही करीब 35 लाख एडमिशन हो जाते थे|