वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में कोरोना संक्रमित शोध छात्र स्ट्रेचर पर तड़पता रहा लेकिन उसे आईसीयू में बेड नहीं मिला। इससे स्ट्रेचर पर ही उसकी मौत हो गई। मौत से पहले छात्र खुद डॉक्टरों से हाथ जोड़कर बचाने की विनती करता रहा। उसके दोस्तों ने रात में अधिकारियों को फोन किया, फोन नहीं उठा तो उनके घर का दरवाजा पीटा। इसके बाद जब तक आईसीयू में बेड की व्यवस्था हुई छात्र इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर ही दम तोड़ चुका था।
बीएचयू विज्ञान संस्थान के भौतिकी विभाग के सीनियर रिसर्च फेलो 32 वर्षीय अभय जायसवाल छित्तूपुर में किराए के मकान में रहते थे। उनके दोस्त फणीन्द्रपति पाण्डेय ने बताया कि मंगलवार शाम करीब 5.30 बजे अभय को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने पर उन्हें अस्पताल ले गए। इमरजेंसी में करीब एक घंटे बाद उनकी एंटीजेन किट से जांच की गई। जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इस दौरान उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता जा रहा था।
डॉक्टर ने तत्काल कोविड आईसीयू में भर्ती कराने को कहा। इसके बाद सभी अधिकारियों को फोन किया। कई लोगों ने फोन उठाया और आश्वासन दिया कि व्यवस्था कराते हैं लेकिन दोबारा किसी का फोन नहीं उठा। हम लोग भागकर वाइसचांसलर और चीफ प्रॉक्टर के आवास पर गए। वाइसचांसलर नहीं मिले लेकिन चीफ प्रॉक्टर ने अपने गार्ड से कहा कि मैंने बेड की व्यवस्था के लिए बोल दिया है। रात करीब 11 बजे फोन आया कि उन्हे कोविड वार्ड की आईसीयू में लाइए। जब तक हम अभय को वहां ले जाते, उसने दम तोड़ दिया।
वहीं अस्पताल के एमएस प्रो. एसके माथुर का कहना है कि मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल में आया था। उसका लंग्स काम करना बंद कर दिया था। मैंने खुद लगकर उसका कोरोना टेस्ट कराया था। उसे आईसीयू बेड भी दिलवाया था लेकिन उनकी मौत हो गई।
अकेली हो गई बहन
अभय के माता-पिता दोनों का पहले ही देहांत हो गया है। उसकी एक 22 साल की बहन है। वह भी बीएचयू में पढ़ती है। भाई की मौत के बाद वह अकेली हो गई है। अभय पढ़ाई में काफी तेज था। उसने 2010 में बीएससी किया। 2012 में आईआईटी दिल्ली से एमएससी किया। इसके बाद 2013 से 2016 तक बतौर प्रोजेक्ट फेले पेरिस में रहे। 2018 में भौतिकी विभाग में सीनियर रिसर्च फेलो में एडमिशन लिया था। अभय की मौत के बाद बहन का रो-रो कर बेहाल है।