कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। संक्रमण से जूझ रहे प्रशासन के सामने दवाओं की कमी का संकट सामने आ सकता है। बाजार से रेमडेसीविर इंजेक्शन गायब हैं। इस दवा की मांग 20 गुना बढ़ गई है।
गोरखपुर में कोरोना के सक्रिय मरीजों का आंकड़ा ढाई हजार के पार चला गया है। संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बढ़ता संक्रमण रोज नए रिकार्ड तोड़ रहा है। इस बीच दवाओं की कमी का संकट गहराने लगा है। सबसे ज्यादा मांग रेमडेसीविर इंजेक्शन की है। इस इंजेक्शन की रोजाना करीब 400 वायल की मांग है। दुकानदारों के पास एक भी नहीं है।
फेबिफ्लू की हो सकती है शार्टेज
होम आइसोलेशन और माइल्ड सिम्टोमेटिक मरीजों के इलाज में दी जाने वाली दवा फेबिफ्लू की मांग तीन से चार गुना बढ़ गई है। मांग के अनुरूप कंपनी आपूर्ति नहीं कर पा रही है। इसके कारण दवा व्यापारियों और मरीजों को दिक्कत हो रही है। दवा विक्रेता समिति के उपाध्यक्ष राजेश तुलस्यान ने बताया कि मांग व आपूर्ति में असंतुलन के बावजूद बाजार में दवा उपलब्ध है। अगर मांग इसी प्रकार बढ़ती रही तो अगले कुछ दिनों में शार्टेज हो सकती है।
सरकारी अस्पताल से नहीं मिल रही दवा
जिला अस्पताल के पास फोरेंसिक भवन में कोरोना की 24 घंटे जांच की सुविधा है। यहां से संक्रमित मरीजों को दवा दी जाती है। बीते चार दिनों दिनों से इस सेंटर पर दवाएं खत्म हैं। जिसके कारण संक्रमितों को दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में उन्हें रैपिड रिस्पांस टीम से दवाएं मंगानी पड़ रहीं हैं। कुछ संक्रमित तो दवाएं खरीद कर सेवन कर रहे हैं।
फेबिफ्लू और रेमडेसीविर का आर्डर भेजा गया है। रेमडेसीविर का संकट अधिक है। कोशिश की जा रही है जल्द ही दोनों दवाएं बाजार में रहेंगी।