Gwalior Corona Virus News: काेराेना संक्रमण बढ़ने के साथ ही माैताें का आंकड़ा बढ़ गया है। पिछले चाैबीस घंटे में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में बीस लाेगाें की माैत हुई है। 14 लाेगाें ने ताे साेमवार काे जान गंवाई। इस दाैरान लापरवाही की हद तब हाे गई जब एक बेटे काे उसके पिता की माैत की सूचना 15 घंटे बाद दी गई। इतना ही नहीं शव काे हासिल करने के लिए बेटे काे सुबह आठ बजे से लेकर दाेपहर दाे बजे तक यहां-वहां भटकना पड़ा। जब बात नहीं बनी ताे स्वजनाें ने हंगामा किया। जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस बुला ली। इस दाैरान टीके का दूसरा डाेज लेने पहुंचे सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने अस्पताल प्रबंधन काे कसा। क्षेत्रीय विधायक प्रवीण पाठक से ताे अस्पताल प्रबंधन आैर प्रशासनिक अफसराें की कहासुनी तक हाे गई। अस्पतालाें में इतनी बड़ी संख्या में माैताें के कारण अफरा-तफरी का माहाैल रहा। रविवार काे जिन लाेगाें के स्वजन की माैत हुई थी, उन्हें शव पाने के लिए इंतजार करना पड़ा।
समाधिया कॉलोनी निवासी कन्हैयालाल भंवानी सुपर स्पेशियलिटी में काेविड का इलाज ले रहे थे। हॉस्पिटल के रिकार्ड के अनुसार रविवार शाम 5:50 बजे उनकी माैत हाे गई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसकी सूचना उनके स्वजन काे नहीं दी। साेमवार सुबह जब उसका बेटा सतीश पिता के लिए चाय नाश्ता लेकर अस्पताल पहुंचा तब वार्ड ब्वाय ने बताया कि आपके पिता नहीं मिल रहे हैं। जब स्वजनों ने डाक्टरों से बात की तो उन्हाेंने बताया कि यहां दो कन्हैयालाल भर्ती हैं। इस पर सतीश ने कहा- मुझे वार्ड में ले चलो पहचान लूंगा, लेकिन स्टाफ ने काेविड नियमाें का हवाला देते हुए एेसा करने से मना कर दिया। इसके बाद स्टाफ ने बताया कि यहां भर्ती एक कन्हैयालाल की माैत हाे गई है, लेकिन वे आपके पिता हैं या नहीं, यह हमें नहीं पता।
निधन की सूचना मिली, पर शव के लिए भटकेः कन्हैयाला के बेटे काे किसी तरह सूचना मिल गई कि उनके पिता की माैत हाे गई है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन यह नहीं बता पाया कि उनका शव कहां है। शव पाने के लिए स्वजन सुबह आठ बजे से दाेपहर दाे बजे तक भटकते रहे। इस दाैरान वे आक्राेशित हाे गए आैर अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। उनके बेटे का कहना था कि उन्हें पिता का शव दिखा दाे। जब एेसा नहीं हाे सका ताे स्वजनाें ने खुद अस्पताल में पिता काे तलाशने की मंशा जाहिर की, लेकिन सुरक्षा गार्डाें ने उन्हें राेक दिया। इसकाे लेकर धक्का मुक्की की स्थिति बन गई आैर पुलिस व प्रशासनिक अफसर भी वहां पहुंच गए। सतीश का कहना था कि पिता से रात नाै बजे तक बात हुई ताे फिर माैत शाम छह बजे कैसे हाे सकती है, लेकिन इन बाताें का जवाब अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं था।
हेमलता के सिर से बह रहा था खूनः 11 अप्रैल की सुबह पिता विनीत खंडेलवाल और शाम को दादी 75 साल की हेमलता खंडेलवाल की मौत हो गई। जब दादी का शव लेने पीयूष पहुंचे तो पता चला कि शव को शिफ्ट करते समय वह गिर गया था, जिससे उनके सिर में नुकीली चीज घुसने से घाव हो गया। उस घाव से निकले खून से पूरा शव लथपथ था। वहीं हजीरा के भवानी शंकर, हनुमान नगर की 70 वर्षीय सुशीला देवी, समाधिया कालाेनी की हेमलता खंडेलवाल आैर डीडी नगर के राजेश जैन के स्वजन भी शव के इंतजार में सुबह से बैठे हुए थे।