Inflation: कोरोना की मार और कृषि बिल के विरोध के बीच देश के किसानों को एक और झटका लगा है। देश के सबसे बड़े खाद विक्रेता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (IFFCO) ने खाद की कीमतें 58 फीसदी तक बढ़ा दी हैं। पहले 1200 रुपए में मिलने वाली डाई-अमोनियम फासफेट (डीएपी) की 50 किलो की एक बोरी अब किसानों को 1900 रुपए में मिलेगी। यूरिया के बाद डीएपी भारत में किसानों के लिए दूसरी सबसे अहम खाद है। टीएपी के साथ-साथ इफ्को ने बाकी खाद के दाम भी बढ़ाए हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार IFFCO ने नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटाश और सल्फर के दाम भी बढ़ाए हैं। 10:26:26 की कीमत 1,175 रुपए से बढ़ाकर 1,775 रुपए कर दी गई है। वहीं, 12:32:16 अब 1,185 की बजाय 1,800 रुपए में मिलेगी। 20:20:0:13 का 50 किलो का बैग के अब 925 की जगह 1350 रुपए का हो गया है। खाद की बढ़ी हुई कीमतें 1 अप्रैल से कर दी गई हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार की वजह से बढ़ी कीमतें
IFFCO के प्रवक्ता ने कहा कि कोऑपरेटिव के फैसले का किसी राजनीतिक दल या सरकार से लेनादेना नहीं है। गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही नियंत्रण मुक्त हैं। पिछले 5-6 महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इसी का असर भारतीय बाजार में भी देखने को मिल रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यूरिया और अमेनिया की कीमतें भी बढ़ी
पहले एक टन डीएपी आयात करने का खर्च 29,845 रुपए था, जो कि अब बढ़कर 40,290 रुपए हो गया है। इसी तरह सल्फर की कीमत 6,342 रुपए प्रति टन से बढ़कर 16,414 रुपए प्रति टन हो गई है। एक टन अमोनिया के लिए अब 20891 रुपए की जगह 37,306 रुपए खर्च करने पडेंगे। यूरिया और पोटाश की कीमतें भी बढ़ी हैं। एक टन यूरिया की कीमत 20,518 रुपए से बढ़कर 28352 रुपए पहुंच गई है।
बढ़ेगी महंगाई?
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खाद की कीमतें बढ़ने से खेती में लागत बढ़गी। इससे अनाज और सब्जियों की कीमतें भी बढ़ेंगी। साथ ही सरकार पर अनाजों की एमएसपी बढ़ाने का दबाव होगा।