पंजाब की जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी दो महीने के अंदर यूपी की जेल में शिफ्ट होगा। यह आदेश शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया। इस आदेश को लोग योगी सरकार की जीत के तौर पर देख रहे हैं। यह आदेश पंजाब सरकार के लिए झटका माना जा रहा है। जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने निर्देश दिया कि प्रयागराज की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट तय करेगी कि उसे बांदा जेल में रखना या किसी और जेल में।
अभी मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है। इससे पहले कोर्ट ने दो ट्रांसफर याचिकाओं को सीज कर लिया था, जिनमें से एक यूपी सरकार द्वारा अंसारी को पंजाब से यूपी ट्रांसफर करने को लेकर दायर की गई थी वहीं में दूसरी अंसारी ने अपने खिलाफ दर्ज केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अंसारी की याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि मऊ सदर सीट से विधायक अंसारी यूपी की एक जेल में बंद था और उसके केस का ट्रायल चल रहा था। इसी बीच पंजाब पुलिस ने जबरन वसूली और आपराधिक धमकी की शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट हासिल किया और उसे पंजाब ले गई।
इससे पहले पंजाब सरकार ने रूपनगर जेल में बंद विधायक व माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपने से इनकार कर दिया था। 14 आपराधिक मुकदमों के लिए यूपी सरकार को अंसारी की कस्टडी की दरकार है। जनवरी 2019 से अंसारी पंजाब की जेल में है, जहां उसे जबरन वसूली मामले में नामजद किया गया था। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि अंसारी की अनुपस्थिति के कारण यूपी में मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
पंजाब सरकार ने दिया हलफनामा :
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अंसारी को यूपी सरकार की हिरासत में देने से मना कर किया था। पंजाब सरकार ने इसका कारण अंसारी के स्वास्थ्य को बताया था। जेल अधीक्षक के माध्यम से दायर हल्फमामे में कहा गया था कि अंसारी कथित तौर पर उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अवसाद, पीठ दर्द और त्वचा की एलर्जी से पीड़ित है। यूपी सरकार की रिट याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए पंजाब-सरकार ने कहा था कि वह चिकित्सकों की राय के अनुसार काम कर रही है। अंसारी को यूपी से दूर रखने के लिए कोई पूर्वकल्पित साजिश नहीं थी। हलफनामे में कहा गया था कि यूपी की रिट याचिका विचार करने योग्य नहीं है क्योंकि पंजाब में अंसारी को हिरासत में रखे जाने को यूपी अपने मौलिक अधिकार के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकती।