नियम को ताक पर रखकर ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को ठेका दे रहे इंजीनियर, जांच में जुटा विभाग

ग्रामीण कार्य के इंजीनियर नियम-कानून की परवाह नहीं कर रहे हैं। सरकार का निर्णय है कि काली सूची में दर्ज एजेंसियों को विभाग की सड़कें बनाने का काम नहीं दिया जाएगा, लेकिन ग्रामीण कार्य के इंजीनियर इसकी अनदेखी कर ब्लैक लिस्टेड एजेंसियों को धड़ल्ले से काम दे रहे हैं। कटिहार में इस तरह के एक मामले का खुलासा हुआ है। अब विभाग पूरे राज्य में ऐसे मामलों की छानबीन में जुट गया है।

दरअसल, पिछले दिनों कटिहार के बारसोई में परमा से बलरामपुर सिमन सड़क का टेंडर निकला था। साढ़े सात करोड़ के टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाली एजेंसी का प्रस्ताव इंजीनियरों ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया। दूसरे स्थान पर आई एजेंसी को यह काम दे दिया गया। बारसोई के कार्यपालक अभियंता ने काम देने के साथ ही विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर एजेंसी से इकरारनामा की भी अनुमति ले ली। लेकिन इस दौरान इंजीनियर ने यह जांच नहीं की कि एजेंसी ब्लैक लिस्टेड है या नहीं। 

कार्यपालक अभियंता का पत्र मिलने पर अभियंता प्रमुख अशोक कुमार मिश्रा ने एजेंसी से इकरारनामा करने की अनुमति दे दी। इसी बीच ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्यालय में एक शख्स ने आवेदन देकर बारसोई की उक्त सड़क का हवाला देते हुए कहा कि पीएमजीएसवाई के तहत जिस सड़क का निर्माण के लिए एजेंसी से इकरारनामा किया गया है, वह एजेंसी ब्लैकलिस्टेड है। आवेदन मिलते ही अधिकारियों ने इसकी जांच-पड़ताल शुरू कर दी। 

मुख्य अभियंता के स्तर पर हुई प्रारंभिक जांच में पाया गया कि एजेंसी को बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड ने ब्लैक लिस्टेड कर रखा है। एजेंसी को निगम ने 18 नवंबर 2019 को ही काली सूची में डाला है। बारसोई के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार राय ने भी माना कि एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। उन्होंने माना कि दूसरे विभाग से ब्लैक लिस्टेड होने के कारण जानकारी नहीं मिल पाई। अभी मुख्य अभियंता इसकी जांच कर रहे हैं। जो भी विभाग का आदेश होगा, उस पर अमल होगा।

ऑनलाइन रहती है एजेंसियों की सूची
विभागीय अधिकारियों के अनुसार सरकार के किसी भी विभाग की ओर से काम कराए जाने के दौरान अगर किसी एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया जाता है तो उसकी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध रहती है। इकरारनामा से पहले इसकी जांच की जाती है ताकि नियमों की अनदेखी न हो। लेकिन विभागीय कर्मियों ने इस स्तर पर लापरवाही बरती और बिना जांच-पड़ताल के ही एजेंसी से इकरारनामा कर लिया। अब एक मामले का खुलासा होने पर विभाग इकरारनामा करने के पहले पूरी जांच-पड़ताल करने का निर्देश दिया है। साथ ही पूर्व के इकरारनामों की जांच भी करने को कहा है।

इस मामले पर ग्रामीण कार्य विभाग के सचिव पंकज कुमार पाल ने कहा, ‘ब्लैक लिस्टेड एजेंसी के साथ इकरारनामा नहीं करना है। सरकार की ओर से इस बाबत आदेश जारी हो चुका है। अगर ऐसा हुआ है तो तत्काल प्रभाव से ऐसे किसी इकरारनामे को रद्द किया जाएगा।’

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