बिलासपुर।Political News: राज्य की सत्ता से बेदखली के बाद भाजपाई रणनीतिकारों और दिग्गज पदाधिकारियों के बीच लगातार इस बात को लेकर मंथन हो रहा है कि महतवाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन और देश के लिए माडल बने मुख्यमंत्री खाान्न् योजना के सफल संचालन के बाद ऐसी क्या स्थिति बनी कि सत्ता से बेदखल होना पड़ा।
डेढ़ दशक तक सत्ता में काबिज होने के बाद जब बेदखल हुए तो विधानसभा में गिनती के विधायक ही पहुंच पाए। चर्चा के बीच यह बात खुलकर सामने आई कि कार्यकर्ताओं के प्रति सत्ता व संगठन के दिग्गजों के मन में उपेक्षा का भाव बड़ा कारण बना है। रणनीतिकारों ने अब एक बार फिर नए सिरे से संगठन को दुरस्त करने का निर्णय लिया है।
नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना और उपेक्षा के शिकार प्रमुखों को मुख्यधारा से जोड़ना उन दिग्गजों के चुनौती से कम नहीं जो पूरे डेढ़ दशक तक सत्ता और संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे हैं। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने दिग्गज भाजपा नेताओं और संगठन के पदाधिकारियों को नया टास्क दिया है। बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को एकजूट करने का फरमान जारी किया है।
बूथ और इकाई स्तर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही पार्टी की सत्ता से बेदखली का बड़ा कारण माना जा रहा है। चर्चा तो इस बात की भी है कि मैदानी कार्यकर्ता जो अपने प्रभाव के चलते लोगों को इकठ्ठा करते हैं और पोलिंग बूथ लेकर जाते हैं व भाजपा के पक्ष में वोट डलवाने पसीना बहाते हैं। पार्टी का यही महत्वपूर्ण कार्यकर्ता अब भी दिग्गजों से दूरी बनाए हुए हैं।
पार्टी के प्रति अब भी समर्पित
दिग्गजों व रणनीतिकारों के लिए राहत वाली बात ये कि सत्ता और संगठन में काबिज रहे भाजपाइयों की उपेक्षा सहने के बाद भी पार्टी से मुंह नहीं मोड़ा है। ये अलग बात है कि अपने आपको दूसरे कार्य में व्यस्त कर लिया है। समय ना गंवाते हुए प्रदेश प्रभारी ने संगठन की रीढ़ माने जाने वाले इकाई व बूथ स्तर के कर्मठ कार्यकर्ताओं को एक बार फिर जोड़ने के लिए मुहिम चलाने का निर्णय लिया है।
इसकी जिम्मेदारी संगठन के पदाधिकारियों को दी गई है। हालांकि इनके लिए यह काम किसी चुनौती से कम नहीं है। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि इन्हीं चेहरों को देखकर तो मैदानी कार्यकर्ताओं ने दूरी बना ली थी। नाराज कार्यकर्ताओं को मनाना और सक्रिय राजनीति से जोड़ने पदाधिकारियों के सामने बड़ी चुनौती होगी।