स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस ट्रेन में मिले 1.40 करोड़ रुपए से भरे बैग के सुराग एक रजिस्टर में मिल सकते हैं। गेस्ट हाउस का यह रजिस्टर जीआरपी के पास है लेकिन इसकी कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की गई है। इसी गेस्ट हाउस में रकम से भरा बैग लेने केलिए कोई भेजा गया था, जो आईडी मांगने पर भाग खड़ा हुआ। बैग वापस कंट्रोल आ गया। जहां खोलने पर इसमें रकम पाई गई।
सूत्रों का कहना है कि कुछ देर बाद ही गेस्ट हाउस पर जीआरपी ने छापा मारा और गेस्ट रजिस्टर उठा लिया। उसके बाद से रजिस्टर का पता नहीं है। उसमें दर्ज गेस्ट के नाम और पद से बैग के बारे में तमाम सुराग मिल सकते हैं। कई जांच एजेंसियां इस पर गौर कर रही हैं। उधर जीआरपी इंसपेक्टर रजिस्टर के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि अगर करोड़ों की लावारिस रकम के तार गेस्ट हाउस से जुड़ रहे हैं तो वहां एक-एक कमरे की तलाशी क्यों नहीं हुई? गेस्ट रजिस्टर क्यों नहीं सील किया गया? अगर रजिस्टर उठाया गया तो उसके बारे में जानकारी से इंसपेक्टर इनकार क्यों कर रहे हैं?
एटीएस भी करेगी पूरे मामले की जांच
ट्रेन में लावारिस मिले 1.40 करोड़ रुपए के राजफाश के लिए एटीएस भी जांच करेगी। सूत्रों का कहना है कि इन रुपयों पर दावा करने वाली कंपनी से लेकर रेलवे तक के संपर्कों को खंगाला जाएगा। एटीएस का मानना है कि इस रकम का आतंकवाद से भी कनेक्शन हो सकता है। प्रदेश में कुछ समय बाद चुनावी हलचल शुरू हो जाएगी। हो सकता है कि इस रकम का इस्तेमाल किया जाना हो। यही वजह है कि क्लेम करने वाली कंपनी का इतिहास खंगाला जाएगा।
क्लेम करने वाली कंपनी पर संदेह बढ़ा
इस बीच रुपए पर क्लेम करने वाली कंपनी बी4एस भी सवालों के घेरे में है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस कंपनी के लोगों से सख्त पूछताछ में सारे राज निकल आएंगे। अभी तक कंपनी ने करोड़ों की इस रकम को पाने के लिए किसी तरह का औपचारिक आवेदन नहीं किया है। कंपनी की गतिविधियों को संदिग्ध मानते हुए आयकर जांर्च ंवग, रेलवे की एजेंसियां और एटीएस तक ने उसे रडार में ले लिया है।
इन वजहों से कंपनी पर भी शक
रकम क्लेम करने वाली कंपनी बी4एस पर संदेह की कुछ खास वजहें हैं। जांच एजेंसियों का पहला सवाल यही है कि दो हफ्ते खामोश रहने के बाद अचानक कंपनी ने 1.40 करोड़ रुपए क्लेम क्यों किया। क्या कंपनी केवल चेहरा है, जिसने कमीशन के लालच में क्लेम किया हो। या यह पहले से ही शेल कंपनी रही है? कोई मास्टरमाइंड इसका इस्तेमाल कर रहा है। कई बार प्रयास करने पर भी अधिकारियों ने सवालों के जवाब नहीं दिए हैं।
ऑडियो ने और उलझाई गुत्थी :
एक वायरल ऑडियो से रहस्य और गहरा गया है। इस आडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि यह ट्रेन की पैंट्री कार में बैग लेने फिर कानपुर में देने वाले और लखनऊ के ऐशबाग स्टेशन पर तैनात एक टीटीई के बीच बातचीत का है। ‘हिन्दुस्तान’ इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता। 1.40 करोड़ रुपए भरे बैग को वैशाली एक्सप्रेस से भेजना था। जो गलती से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में रख दिया गया। बैग की डिलीवरी लखनऊ में होनी थी लेकिन कानपुर में हो गई।
जांच भटकाने की कोशिश तो नहीं : ऑडियो को संदेहजनक माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि पूरे मामले में कानपुर से ध्यान हटा कर कहीं और केन्द्रित करने की साजिश हो सकती है। बैग भेजने वाले को पता होगा कि उसमें भारी रकम है। उसने पूरा एहतियात बरता होगा कि बैग किस ट्रेन में रखा जाए और कहां उतारा जाए। पैंट्रीकार स्टाफ को दिल्ली में कहा गया कि कानपुर में बैग उतरेगा। ऐसे में अब ऐशबाग से बैग की पड़ताल एक साजिश के तहत वायरल की जा सकती है। यह जांच को उलझाने की कोशिश हो सकती है।