नोटबंदी: परेशानी बरकरार, अब अच्छे समय का इंतजार

कैशलेस व्यवस्था के लिए उपकरण नहीं हैं। एटीएम से दो हजार ही निकलने और दो हजार के नोट के खुल्ले के संकट की वजह से 52 दिन बाद भी करेंसी की किल्लत खत्म नहीं हो सकी है। शहर की स्थिति में तो कुछ सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अब भी संकट बरकरार है।bank_1483127346
 
स्थिति यह है कि ग्रामीण इलाकों का मुख्य बैंक पूर्वांचल बैंक की अधिकांश शाखाएं बंद हैं। हालांकि अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में नोटबंदी का फैसला देश की अर्थव्यवस्था के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। 

उद्योग, व्यापार के पहिए थमे, फिर सरके 
नोटबंदी से उद्योग, कारखाने और व्यापार के थमे पहिए अब सरकने लगे हैं। शुरुआती दिनों में तो कारखाना मालिकों और व्यापारियों ने पुराने नोटों से भुगतान कर दिया, लेकिन 15-20 दिनों बाद हालत बिगड़नी शुरू हुई तो आज तक नहीं सुधर सकी है। इस स्थिति में सुधार आने में कुछ और दिन लगने की बात कही जा रही है।

उद्योगपति हरिहर सिंह का कहना है कि हम जैसे लोगों के लिए प्रति सप्ताह मात्र 50 हजार रुपये की निकासी के प्रावधान से काफी दिक्कत हो रही है। इसी रकम से कच्चे माल की खरीदारी करनी है और कामगारों को भुगतान भी करना है। ऐसे में काम काफी प्रभावित हो रहा है। फैक्ट्री में काम करने वाले 15 अस्थायी मजदूरों में से मात्र 5 से ही काम लिया जा रहा है। ऑर्डर भी कम हो गया है। यह स्थिति कब बदलेगी, पता नहीं।

सब्जी व्यापारी फिरोज अहमद राईन का कहना है कि नोटबंदी के पहले मंडी में रोजाना करीब 150 से 160 गाड़ियां आती थीं, कम होकर यह मात्र 25 तक पहुंच गई थी, लेकिन अब इसमें काफी सुधार हो गया है और अब करीब 100 गाड़ियां रोजाना आ रही हैं। घर लौट गए मजदूर भी वापस आने लगे हैं। 

कैशलेस अभी दूर की कौड़ी
ग्रामीण इलाकों की छोड़िए अभी तो शहर में ही कैशलेस काफी दूर की कौड़ी है। ग्रामीण इलाकों में जहां अभी सेल्युलर कंपनियां हर जगह नेटवर्क नहीं पहुंचा सकी हैं, वहीं शहरी इलाकों में कैशलेस के उपकरणों की किल्लत है। स्थिति यह है कि जिस बैंक में 300 स्वाइप मशीनों के आवेदन आ रहे हैं, वहां से सिर्फ 12-13 मशीनों की आपूर्ति ही हो पा रही है। बड़े मॉल, स्टोर, बच्चों की फीस, रेल टिकट आदि तक ही यह सिमटा हुआ है। नई तकनीकों के प्रति जागरूकता एवं उसकी कमी की वजह से इसका दायरा अभी बहुत सीमित है। 

शहर में तकरीबन 50 हजार दुकानें हैं। जिस रफ्तार से बैंक उन्हें पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन उपलब्ध करा रहा है, उस हिसाब से सभी दुकानों के कैशलेस होने में अभी काफी लंबा समय लगेगा। पंजाब नेशनल बैंक के मार्केटिंग मैनेजर मैनेजर सिंह ने कहा कि उनके पास जोन के लिए करीब 350 से अधिक आवेदन आए हैं, लेकिन मात्र 12 से 13 की ही आपूर्ति की जा सकी है।

यूनियन बैंक के मार्केटिंग मैनेजर पुनीत शर्मा ने बताया कि स्वाइप मशीन के लिए करीब 450 आवेदनों में से 130 का ही एप्रूवल हो सका है। एसबीआई के मॉर्केर्टिंग मैनेजर राकेश तिवारी ने बताया कि पहले जहां दुकानदारों से निवेदन करना पड़ता था, वहीं अब हम आपूर्ति ही पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

ग्रामीण इलाकों में अब भी है दिक्कत 
नोटबंदी का ग्रामीण इलाकों मेें असर ज्यादा है। शहरी क्षेत्र के मुकाबले गांवों में एटीएम और बैंकों में कम करेंसी उनकी समस्या बढ़ा रही है। ग्रामीण बैंक एवं सहकारी बैंक पर ज्यादा निर्भरता ने परेशानी और बढ़ा दी है, क्योंकि इन बैंकों में अब तक करेंसी की किल्लत बनी हुई है। सबसे खराब स्थिति पूर्वांचल बैंक की है। इस बैंक की तकरीबन आधी शाखाओं में ताला लगा हुआ है। पूर्वांचल बैंक के सीनियर मैनेजर जितेंद्र पांडेय ने बताया कि पूर्वांचल बैंक की अभी 200 से ज्यादा शाखाएं बंद हैं। 

जगदीशपुर क्षेत्र के कैथवलिया गांव के अफरोज अहमद सिद्दीकी का कहना है कि नोटबंदी के बाद परेशानी तो कुछ कम तो हुई है, लेकिन अब भी जरूरत के मुताबिक बैंक भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। मात्र 1000 या 2000 रुपये ही मिल रहे हैं। बांसगांव के भुसवल निवासी दीपक सिंह ने बताया कि पीएम ने जहां 24 हजार निकासी की सीमा बताई थी, वहीं अभी मात्र 10 हजार रुपये ही भुगतान किए जा रहे हैं। 

विमुद्रीकरण का मुख्य उद्देश्य हुआ फेल
मुद्रीकरण का मुख्य उद्देश्य कालाधन रोकना बताया गया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कोई पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी से नोट बदलने में कामयाब रहा तो कई जनधन खाते से। कालाधन छापों से भी पकड़ा गया, जो बिना विमुद्रीकरण के भी संभव था। 

ऑल इंडिया पंजाब नेशनल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के निवर्तमान मंडल सचिव एमजे श्रीवास्तव ने कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार और आरबीआई के लगातार बदलते फैसलों ने लोगों के मन में भय पैदा कर दिया था। आरबीआई की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा हो गया। भले ही नोटबंदी एक साहसिक फैसला था, लेकिन इसे लागू करने में गड़बड़ी हुई। बैंकों के लिए यह नुकसानदायक रहेगा, क्योंकि बैंकों में दो महीने से बैंकिंग का काम ठप है और बैंकों में जमा पैसे पर ब्याज देना होगा।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र शिक्षक प्रो. एचएस वाजपेयी का कहना है कि नोटबंदी का फैसला देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर मुकाम पर ले जाएगा। बैंकों में जो पैसा आया, वह अब मुख्य धारा का पैसा है और कालाधन मुख्यधारा से बाहर हो गया। सरकार को टैक्स मिलेगा और टैक्स से देश का नवनिर्माण होगा। चार्टर्ड एकाउंटेंट मनीष खंडेलवाल का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था में नकली नोट जो समानांतर रूप में चल रहा था, वह बाहर हो गया, लिहाजा देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा।

 
 

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