पेट्रोल-डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने से आम लोगों को ऊंची कीमतों से राहत मिल सकती है। जीएसटी से पेट्रोल घटकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है। जबकि डीजल की कीमत कम होकर 68 रुपये प्रति लीटर तक आ सकती है। एसबीआई रिसर्च ने अपनी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।
पेट्रोल को अगर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है। एसबीआई इकोनोमिस्ट ने एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में यह बात कही। रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से केन्द्र और राज्यों के राजस्व पर एक लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा जो देश की जीडीपी का 0.4 फीसदी होगा। अर्थशास्त्रियों ने कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का मूल्य 73 रुपये प्रति डॉलर के आधार पर यह आकलन किया है। मौजूदा समय में केन्द्र और राज्य पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग शुल्क वसूलते हैं। देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई है।
केंद्र और राज्य स्तरीय करों और कर-पर-कर के भारत से भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम दुनिया में सबसे उच्चस्तर पर बने हुए हैं। जीएसटी में लाने पर डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है। ऐसा होने से केन्द्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है। यह गणना एसबीआई इकोनोमिस्ट ने की है जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डॉलर प्रति बैरल और विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया है।
टैक्स अधिभार से लोगों पर बोझ बढ़ा
वर्तमान में प्रतयेक राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाता है जबकि केन्द्र इस पर उत्पाद शुल्क और अन्य उपकर वसूलता है। इसके चलते देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर तक पहुंच गये हैं। ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों पर ऊंची दर से कर को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है जिसकी वजह से ईंधन महंगा हो रहा है। एसबीआई इकोनोमिस्ट ने कहा कि जीएसटी प्रणाली को लागू करते समय पेट्रोल, डीजल को भी इसके दायरे में लाने की बात कही गई थी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। पेट्रोल, डीजल के दाम इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने से इनके दाम में राहत मिल सकती है।
केंद्र और राज्य सरकारें इच्छुक नहीं
इकोनोमिस्ट के अनुसार, केन्द्र और राज्य सरकारें कच्चे तेल के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की इच्छुक नहीं है क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर, वैट आदि लगाना उनके लिए कर राजस्व जुटाने का प्रमुख स्रोत है। इस प्रकार इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है जिससे कि कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। कच्चे तेल के दाम और डालर की विनिमय दर के अलावा इकोनोमिस्ट ने डीजल के लिए परिवहन भाड़ा 7.25 रुपये और पेट्रोल के लिये 3.82 रुपये प्रति लीटर रखा है, इसके अलावा डीलर का कमीशन डीजल के मामले में 2.53 रुपये और पेट्रोल के मामले में 3.67 रुपये लीटर मानते हुये पेट्रोल पर 30 रुपये और डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उपकर और 28 प्रतिशत जीएसटी की दर से जिसे केन्द्र और राज्यों के बीच बराबर बांटा जायेगा, इसी आधार पर इकोनोमिस्ट ने अंतिम मूल्य का अनुमान लगाया है। इसमें कहा गया है कि सालाना डीजल के मामले में 15 प्रतिशत और पेट्रोल के मामले में 10 प्रतिशत की खपत वृद्धि के साथ यह माना गया है कि जीएसटी के दायरे में इन्हें लाने से एक लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है।
उत्पाद शुल्क में बड़ी कटौती संभव
सरकार के पास पेट्रोल और डीजल पर 8.50 रुपये प्रति लीटर तक उत्पाद शुल्क में कटौती करने की गुंजाइश है। विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि इन ईंधनों से मिलने वाले राजस्व के लक्ष्य पर असर डाले बिना यह कटौती की जा सकती है। आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज ने अपने एक नोट में कहा है, ‘हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021-22 में वाहन ईंधन पर यदि उत्पाद शुल्क में कोई कटौती नहीं की जाती है तो यह 4.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी जबकि बजट अनुमान 3.2 लाख करोड़ रुपये का है। इस हिसाब से यदि एक अप्रैल 2021 को अथवा इससे पहले उत्पाद शुल्क में 8.5 रुपये प्रति लीटर की भी कटौती की जाती है तो अगले वित्त वर्ष के बजट अनुमान को हासिल कर लिया जाएगा। पिछले साल मार्च से लेकर मई 2020 के बीच पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये और डीजल में 16 रुपये लीटर की वृद्धि की गई। वर्तमान में पेट्रोल पर कुल मिलाकर 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये लीटर उत्पाद शुल्क लागू है।
खुदरा कीमतों में 60 फीसदी तक शुल्क
वर्तमान में पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत तक केन्द्र और राज्य के करों का हिस्सा है जबकि डीजल के खुदरा मूल्य में करों का हिस्सा 54 प्रतिशत तक है। इस समय दिल्ली में पेट्रोल का दाम 91.17 रुपये और डीजल का दाम 81.47 रुपये लीटर है। केन्द्र सरकार ने नवंबर 2014 से लेकर जनवरी 2016 के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के गिरते दाम का लाभ उठाते हुए नौ बार पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया। कुल मिलाकर 15 माह में पेट्रोल पर उत्पाद शुलक में 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये लीटर की वृद्धि की गयी। इससे सरकारी खजाने में भी अच्छी वृद्धि हुई।
पेट्रोल पर इस तरीके से लगता है मौजूदा टैक्स
विवरण | पेट्रोल रुपये/लीटर | डीजल रुपये/लीटर |
आधार मूल्य | 33.26 | 34.97 |
किराया | 0.28 | 0.25 |
डीलर को मिलता है इस रेट पर | 33.54 | 35.22 |
डीलर कमीशन | 3.69 | 2.51 |
केंद्र सरकार का टैक्स एक्साईज ड्यूटी के रूप में | 32.9 | 31.8 |
राज्य सरकार का टैक्स वैट के रूप में | 21.04 | 11.94 |
कुल कीमत | 91.17 | 81.47 |
स्रोत: IOC
पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आए तो घटेंगे दाम
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का आग्रह कर चुकी हैं। वहीं, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझावों पर अगर जीएसटी परिषद अमल करती है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो जाएंगी। उन्होंने कहा था कि उनका मंत्रालय जीएसटी परिषद से पेट्रोलियम उत्पादों को अपने दायरे में शामिल करने का लगातार अनुरोध कर रहा है, क्योंकि इससे लोगों को फायदा होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कुछ ऐसे ही संकेत दे चुकी हैं।
पेट्रोल-डीजल के रेट पर ये होगा असर
– जीएसटी की उच्च दर पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घट जाएंगी।
– भारत में चार प्राथमिक जीएसटी दर हैं – 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद
– अगर 28 फीसद वाले स्लैब में ईंधन को रखा गया तो पेट्रोल की कीमतें मौजूदा रेट से काफी कीम हो जाएगी।
इन राज्यों ने घटाया वैट
इस बोझ को कम करने के लिए केंद्र सरकार को एक्साईज ड्यूटी और राज्य सरकारों को वैट कम करना होगा। राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, पुड्डुचेरी और मेघालय सरकार ने पहले ही वैट घटाकर आम जनता को थोड़ी राहत दी है। पेट्रोल और डीजल पर वैट सबसे पहले राजस्थान ने घटाया था। राजस्थान में 29 जनवरी को वैट 38 फीसद से 36 फीसदी किया गया था। असम ने 12 फरवरी को 5 रुपये टैक्स में कम किए, वहीं मेघालय ने सबसे अधिक राहत दी। यहां राज्य सरकार ने पेट्रोल पर 7.40 रुपये और डीजल पर 7.10 रुपये कम किए। टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा हो रहा है। केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क और राज्य वैट वसूलते हैं। अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 फीसद से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं। इन दोनों की दरें इतनी ज्यादा है कि 35 रुपये का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच रहा है।