और सख्त हुए मौसम के तेवर, ठिठुरे लोग

fog-covered-at-morning_1483034798मौसम का तेवर गुरुवार को और ज्यादा सख्त होकर सामने आया। सुबह से ही सर्द हवा व गलन का ऐसा दौर शुरू हुआ कि पूरे दिन आम जन-जीवन अस्तव्यस्त होकर रह गया। दिनभर धूप न निकलने से लोगों को कड़ाके की ठंड से जूझना पड़ा। सरकारी व गैरसरकारी कार्यालयों में कर्मचारी दरवाजे बंद काम निपटाते देखे गए जबकि अन्य लोग अलाव का सहारा लेकर ठंडी से बचते दिखाई पड़े। अवकाश न होने से छात्र-छात्राओं को ठिठुरते हुए विद्यालय जाना पड़ा। उधर, डीएम वैभव श्रीवास्तव ने िजले के 12वीं तक के विद्यालयों को 31 दिसंबर तक बंद रखने का निर्देश दिया। कुछ दिनों से ठंड का प्रकोप फिर से बढ़ा है। बुधवार को तो दोपहर बाद धूप निकली भी थी लेकिन गुरुवार को मौसम और खराब हो गया। सुबह के समय कोहरे के बीच सर्द हवा ने गलन में वृद्धि कर दी।
तेजी से गिरते तापमान के बीच छात्र-छात्राओं को ठिठुरते हुए विद्यालय जाना पड़ा। कड़ाके की ठंड पड़ने के बावजूद विद्यालयों में अवकाश घोषित न होने से एक तरफ जहां छात्र-छात्राओं को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा, वहीं उनके अभिभावकों ने भी कड़ी नाराजगी जताई। कहा गया कि बच्चों के हित को देखते हुए अवकाश घोषित किया जाना चाहिए था। हाड़कंपाऊ ठंड का सीधा असर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों पर भी दिखा। लगभग पूरे दिन ज्यादातर दुकानों पर सन्नाटा ही पसरा रहा। इक्का-दुक्का ग्राहक ही दुकानों पर पहुंचे। ग्रामीण क्षेत्रों की बात दूर, जिला मुख्यालय के बाजार में ही पूरे दिन कोई खास चहल-पहल नहीं दिखी। लोगों को उम्मीद थी कि शायद दोपहर बाद स्थिति में कुछ सुधार हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

दोपहर बाद भी धूप न निकलने से गलन का दौर बरकरार रहा। दिन ढलते-ढलते एक बार फिर से कड़ाके की ठंड शुरू हो गई। बाजार में आए इक्का-दुक्का लोग भी जल्दी ही अपने-अपने घरों का रुख करने लगे। नतीजतन शहरी क्षेत्र के बाजार भी शाम छह बजते-बजते बंद होने के कगार पर पहुंच गए। उधर इससे पहले जगह-जगह अलाव जलाकर लोग ठंड से बचने का प्रयास करते रहे।प्रशासन द्वारा अभी भी तमाम सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था न किए जाने के चलते लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सबसे अधिक समस्या ग्रामीण क्षेत्र से जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को हुई। कड़ाके की ठंड के चलते दोपहर होते-होते जिला मुख्यालय समेत अन्य ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में सन्नाटा पसरने लगा। उधर, लगातार गिरते तापमान के बावजूद जिला मुख्यालय पर स्थित एकमात्र रैन बसेरे में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। न तो किसी चिकित्सक की तैनाती की जा सकी और न ही अलाव की ही समुचित व्यवस्था हो सकी है। नतीजतन इसका माकूल लाभ रात्रि में यात्रा करने वालों या फिर रिक्शा चालकों को नहीं मिल पा रहा है।

 
 

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