बिहार के सभी टोल प्लाजा पर सोमवार यानी 15 फरवरी की रात 12 बजे के बाद तमाम नकदी बंद कर दिए गए। जिन गाड़ियों में फास्टैग नहीं लगे होंगे, उन्हें दोगुना टोल देकर सफर करना होगा। देशव्यापी नियम के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने यह व्यवस्था लागू कर दी है। गौरतलब है कि बिहार में नेशनल हाईवे के 25 स्थानों पर टोल टैक्स की वसूली होती है।
बिहार में अभी मात्र 51 फीसदी गाड़ियों में ही फास्टैग लगी है। आकलन के अनुसार बिहार के टोल प्लाजा से हर दिन औसतन दो लाख गाड़ियां पार करती हैं। इनमें एक लाख से अधिक गाड़ियों में फास्टैग लगी हुई है। जबकि बाकी गाड़ियों में फास्टैग नहीं है। इन गाड़ियों से सरकार को औसतन 125-130 करोड़ की आमदनी हर रोज होती है। बिहार में सबसे अधिक दीदारगंज टोल से 20-22 हजार गाड़ियां पार करती हैं। दूसरा स्थान मोहनिया का है। नए नियम के बाद जिन गाड़ियों में फास्टैग लगे होंगे, वो गाड़ियां बिना रूकी हुई पार करेगी। उनका टोल टैक्स स्वत: ही सरकार के खाते में चला गया। जबकि जिन गाड़ियों में फास्टैग नहीं होंगे, उन्हें नकदी देने के लिए अलग से कतारबद्ध होना होगा। इस कारण ऐसे गाड़ी मालिकों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
फास्टैग ऐसे करता है काम
फास्टैग लगी गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रूकने की जरूरत नहीं होती है। टोल प्लाजा से गुजरते ही टोल टैक्स पर लगे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ऐसी गाड़ियों की पहचान कर लेते हैं। संबंधित गाड़ी में लगे फास्ट टैग को स्कैन करते ही टोल प्लाजा पर लगा गेट खुल जाएगा। गाड़ी मालिक बेरोकटोक आगे बढ़ जाएंगे। टोल पर निर्धारित राशि फास्टैग में उपलब्ध राशि से कट जाएगी। बिहार के टोल प्लाजा पर इसका ट्रायल बीते दिसम्बर में ही सफल हो चुका है। पहले एक दिसम्बर और फिर एक जनवरी से सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग से वसूली का निर्णय था, जिसे बढ़ाकर 15-16 फरवरी की रात की गई। फास्टैग से टोल देने पर लोगों को रियायत भी दी जा रही है। मसलन, अगर कोई नकदी में टोल टैक्स 100 रुपए भुगतान करते हैं तो फास्टैग में उन्हें इस राशि में से ढाई फीसदी की छूट दी जा रही है।
ऑनलाइन खरीद की सुविधा
फास्टैग की खरीदारी ऑनलाइन भी की जा सकती है। पेटीएम या अमेजन पर भी यह उपलब्ध है। इसके अलावा बिहार के सभी 25 टोल प्लाजा केंद्रों पर विक्रय केंद्र खुले हुए हैं। एसबीआई सहित अन्य बैंकों के माध्यम से फास्टैग की खरीदारी की जा सकती है। इंडियन ऑयल, भारत या हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंपों पर भी फास्टैग उपलब्ध हैं। एनएचएआई की माई फास्ट ऐप से भी इसकी खरीदारी की जा सकती है। खरीदारी के लिए गाड़ी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ऑनर बुक, केवाईसी में पहचान व पत्राचार के कागजात चाहिए। खरीदारी के बाद चेक, क्रेडिट या डेबिट कार्ड, आरटीजीएस के जरिए ऑनलाइन रिचार्ज किया जा सकता है। एक बार में कम से कम 100 रुपए और अधिकतम एक लाख से इसे रिचार्ज कराया जा सकता है। बैंक के बचत खाते से भी फास्ट टैग को जोड़ा जा सकता है। पैसा कम होने पर उसका एसएमएस आएगा ताकि लोग उसे रिचार्ज करा सकें। फास्टैग से जुड़ने का शुल्क 200 रुपए है। अलग-अलग गाड़ी के अनुसार कुछ सिक्यूरिटी मनी भी देनी होगी, जो खाता बंद करते समय वापस कर दिया जाएगा।
बिना फास्टैग वाली गाड़ियों के लिए एक भी काउंटर नहीं होगा। अलग से कतार में खड़ा होने पर गाड़ी मालिकों को परेशानी होगी। इसलिए लोगों से गुजारिश है कि वे अपनी गाड़ियों में अनिवार्य रूप से फास्टैग लगवा लें।