मेरठ से प्रयागराज तक बनने जा रहे गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना अपने शुरूआती दौर से ही रोजगार मुहैया कराएगी। जमीन अधिग्रहण का काम हो या निर्माण काम। हजारों कारीगरों, श्रमिकों को काम मिलेगा। यही नहीं जब यह परियोजना तीन साल में पूरी होगी तो औद्योगिक विकास के जरिए लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराने का सबब बनेगी।
यूपीडा द्वारा गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण काम शुरू हो गया है। इसके लिए लेखपाल, तहसीलदार व राजस्व अधिकारी राजस्व विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लिए जाएंगे। जब निर्माण शुरू होगा तो चयनित निर्माण एजेंसियां अपने अपने स्तर पर इंजीनियरों, कारीगरों व श्रमिकों की भर्ती करेंगी। इस वक्त पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के निर्माण में एक वक्त में पांच से छह हजार श्रमिक रोजाना काम कर रहे हैं। इतने ही बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर काम पर लगाए गए हैं।
माना जा रहा है कि 396 किमी के गंगा एक्सप्रेसवे वे बनाने के लिए दस हजार श्रमिकों की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा टेक्निकल स्टाफ अलग से लगाया जाएगा। यूपीडा के एक अधिकारी बताते हैं कि 36 नए पदों पर स्टाफ रखने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। जिन जिलो से एक्सप्रेसवे वे गुजरेगा, श्रमिक वहीं से लिए जाएंगे।
गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण काम शुरू हो गया है। इसके लिए लेखपाल, तहसीलदार व राजस्व अधिकारी राजस्व विभाग से प्रतिनियुक्ति पर लिए जाएंगे। जब निर्माण शुरू होगा तो चयनित निर्माण एजेंसियां अपने अपने स्तर पर इंजीनियरों, कारीगरों व श्रमिकों की भर्ती करेंगी। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण काम इस साल जून से शुरू होगा। इससे पहले जमीन खरीदने का काम पूरा कर लिया जाएगा। एक्सप्रेसवे के लिए 37500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण तीन साल में पूरा हो जाएगा। इसके दोनों ओर इंडस्ट्रियल पार्क विकसित होंगे। निवेश होने व उद्योग लगने से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। यहीं मंडिया विकसित होंगी।
सेवानिवृत्त सिविल इंजीनियरों की होगी भर्ती
यूपीडा नियत पेंशन पे पर प्राधिकरणों व सार्वजनिक उपक्रमों से सेवानिवृत इंजीनियरों की भर्ती करेगी। इनमें मुख्य महाप्रबंधक सिविल, महाप्रबंधक सिविल,वरिष्ठ प्रबंधक सिविल, सहायक प्रबंधक सिविल पदों पर जल्द भर्ती होगी। इसमें सिविल इंजीनियरिंग में प्रथम श्रेणी में स्नातक उपाधि के साथ कम से कम दस साल का कार्य अनुभव की जरूरत है।