सठियांव चीनी मिल के चालू होने के बाद किसानों में खुशी की लहर व्याप्त थी। लोगों ने भारी मात्रा में गन्ने की फसल की बुआई किया था। जब फसल तैयार हो गई तो मिल द्वारा इन्हें तौल पर्ची नहीं मिल पा रही है। इससे यह अपने गन्ने को तौल कांटे पर नहीं भेज पा रहे हैं। पर्ची के इंतजार मे थक हार कर कुछ किसान अपने खेतों को खाली करने के लिए गन्ने को औने-पौने दामों में बिचौलियों को बेच रहे हैं। जिससे गेहूं की बुआई समय से हो सके। कुछ किसान तो कांटे का महीनों से चक्कर लगा रहे। उन्हे तौल पर्ची न मिलने से काफी मायूस नजर आ रहे हैं। किसान लाल बहादुर यादव गुमकोठी, चंद्रबली यादव औराडाड, रामतीर्थ यादव पाकड़पुर, विजय यादव समैसा, देवेन्द्र ¨सह गनवारा, केदारनाथ पांडेय पूरामया, शेर ¨सह, सत्यराम यादव चकलतीफ आदि का कहना है कि यदि मिल कर्मचारियों ने अविलंब तौल पर्ची नहीं दिया तो हम अपने तैयार गन्ने को खेतों में ही देंगे। इसके जिम्मेदार अधिकारी व कर्मचारी होंगे ।