बिहार के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल चौथे दिन भी जारी रही। इस वजह से मरीजों को बिना इलाज कराये लौटना पड़ा। ओपीडी में मरीजों की संख्या घटकर आधी हो गई है। कई बड़े ऑपरेशन टाले गए। इमरजेंसी में आए मरीजों को लौटना पड़ा।
इस बीच पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों को समझाने का प्रयास विफल साबित हुआ। टाटा वार्ड से लेकर सेंट्रल इमरजेंसी तक में भी मरीजों की संख्या घटकर एक चौथाई के लगभग हो गई है। वहीं एनएमसीएच में दो मरीजों की जान चली गई। वहीं कई विभागों में भर्ती मरीजों ने इलाज की सुविधा नहीं होने की शिकायत की। किसी ने ड्रेसिंग नहीं होने की तो किसी ने ऑपरेशन का सारा सामान खरीद कराने के बाद भी ऑपरेशन टालने की शिकायत की। वहीं, भागलपुर के जेएलएनएमसीएच में शनिवार को 19 मरीजों के ऑपरेशन किए गए, जबकि सात के टालने पड़े। हड़ताल के कारण अब अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में करीब 50 प्रतिशत तक की कमी आयी है।
डीएमसीएच में एक की मौत
डीएमसीएच की इमरजेंसी में एक भी मरीज का इलाज नहीं हो सका। हालांकि आपातकालीन विभाग खुला था और सीनियर डॉक्टर भी मौजूद थे। वहीं, केंद्रीय ओपीडी से सैकड़ों मरीज बिना इलाज लौट गए। डीएमसीएच में सिर्फ छह मरीज भर्ती कराए गए। वहीं, मेडिसिन आईसीसीयू में एक और मरीज ने दम तोड़ दिया।
कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा पीएमसीएच प्रशासन
अब पीएमसीएच प्रशासन कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है। हालांकि इस चेतावनी का कोई असर जूनियर डॉक्टरों पर नहीं हुआ। उन्होंने बिना स्टाइपेंड वृद्धि के काम पर वापस लौटने से साफ इनकार कर दिया है। इस बीच मरीजों की फजीहत लगातार बढ़ती जा रही है। टाटा वार्ड से लेकर सेंट्रल इमरजेंसी में भी मरीजों की संख्या घटकर एक चौथाई के लगभग हो गई है। लगातार ड्यूटी से परेशान सीनियर डॉक्टर भी मरीजों का इलाज करने से ज्यादा टालने में लगे हैं। ओपीडी में मरीजों को जैसे-तैसे निपटाया जाने लगा है, जबकि ऑपरेशन लगातार टाले जा रहे हैं। हालांकि पीएमसीएच प्रशासन ने पिछले 24 घंटे में ओपीडी में 950, इमरजेंसी में 323 मरीजों के इलाज करने का दावा किया है। अधीक्षक ने कहा, ऑपरेशन कुछ प्रभावित हुए हैं। फिर भी 52 ऑपरेशन किए गए। इनमें चार बड़े ऑपरेशन और 48 माइनर ऑपरेशन शामिल हैं।
दूसरी ओर कई मरीज बिना इलाज कराए भी वापस लौटे। राजेंद्र नगर की रीना देवी आंख का इलाज कराने आई थीं, लेकिन डॉक्टर नहीं मिलने से बिना इलाज के वापस लौट गईं। वही हड्डी रोग, ईएनटी, दंत रोग, स्त्री एवं प्रसूति, स्किन व सामान्य मेडिसिन विभाग में भी मरीजों की संख्या अन्य दिनों के मुकाबले काफी कम रही।
डेढ़ घंटे तक चली वार्ता के बाद भी हड़ताल तोड़ने से इंकार
मरीजों की परेशानी को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने विभाग के निर्देश पर जूनियर डॉक्टरों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सहमति नहीं बन पाई। अस्पताल अधीक्षक डॉ. बिमल कारक और प्राचार्य डॉ. बीपी चौधरी ने जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बातचीत की। लगभग डेढ़ घंटे तक चली वार्ता के बाद भी हड़ताल तोड़ने को जूनियर डॉक्टर राजी नहीं हुए। अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने बताया कि अस्पताल अधीक्षक होने के नाते उन्होंने जूनियर डॉक्टरों को एक महीने तक हड़ताल टालने को कहा। इस बीच वे विभाग से उनके हित में वार्ता करने का भी आश्वासन दिए पर जूनियर डॉक्टर एक महीने के भीतर उनकी मांग मानने का लिखित आश्वासन मांग रहे थे। लिखित आश्वासन नहीं मिलने पर वे लोग हड़ताल तोड़ने पर राजी नहीं हुए। हालांकि जूनियर डॉक्टरों ने शनिवार को ओपीडी रजिस्ट्रेशन व वार्ड में होने वाले इलाज में कोई बाधा नहीं पहुंचाई। शांतिपूर्ण तरीके से टाटा वार्ड के समीप टेंट लगा अपना प्रदर्शन करते रहे। जिन जूनियर डॉक्टरों की ड्यूटी कोविड वार्ड व आईसीयू में लगी थी वे लोग काम करते दिखे। बताया कि कोविड और आईसीयू को हड़ताल से बाहर रखा गया है।
पीएमसीएच को हड़ताल से निपटने को मिले 18 डॉक्टर
हड़ताल से निपटने और मरीजों की परेशानी कम करने के लिए पीएमसीएच को 18 डॉक्टर उपलब्ध कराए गए हैं। अस्पताल अधीक्षक डॉ. बिमल कारक ने बताया कि यह डॉक्टर सिविल सर्जन की ओर से उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने सिविल सर्जन से 50 डॉक्टरों की तैनाती की मांग की थी। अन्य 32 डॉक्टर भी अगले 2 दिन में पीएमसीएच को मिल जाएंगे। उसके बाद वार्ड और ओपीडी में डॉक्टरों की कमी की से ज्यादा परेशानी नहीं होगी। बताया कि शुक्रवार को मिले 18 डॉक्टरों में से 13 डॉक्टरों की तैनाती इमरजेंसी वार्ड में की गई है।
काम पर नहीं लौटने वाले जूनियर डॉक्टरों का वेतन कटेगा। साथ ही जो इंटर्न काम पर नहीं लौटेंगे, उनकी सेवा बाधित मानी जाएगी और उनको प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। हड़ताली डॉक्टरों पर विभाग के निर्देश के अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी। – डॉ. बिमल कारक, अधीक्षक पीएमसीएच