वैसे तो करीब दो सप्ताह से ठंड लोगों को झकझोर रही थी। आलम यह था कि घने कोहरे के कारण सूर्य भी नहीं निकला। ठंड से बचाव के लिए लोगों द्वारा तरह-तरह से उपाय किए जा रहे थे। इससे बचने के लिए एक तरफ जहां लोग पूरे शरीर को गर्म कपड़ों से ढंककर रख रहे थे, वहीं राहत के लिए उनके द्वारा अलाव का भी सहारा लिया जा रहा था,
लेकिन शुक्रवार और शनिवार को तीखी धूप खिलने से ठंड का असर काफी हद तक कम हो गया था। लोगों में इस बात की आस जगी थी कि शायद अब ठंड उनका पीछा छोड़ दे, लेकिन सोमवार एक बार फिर से मौसम का मिजाज घूम गया। घने कोहरे की चादर तनी रही। कोहरा का प्रभाव ऐसा था कि इसके धूंध की आगे आंखों की रोशनी भी पूरी तरह से फीकी पड़ गई थी।
दस कदम की दूरी की वस्तु भी नहीं दिखाई दे रही थी। मार्गों में हेड लाइट के सहारे चार पहिया वाहन और बाइक सवार रेंगते नजर आए। जिन वाहन चालकों की कोहरे बीच आवागमन करने की हिम्मत टूट गई, वह अपने वाहनों को सड़क किनारे खड़ा कर कोहरा छंटने का इंतजार करने लगे। कोहरा के बीच पवन देव भी लोगों को परेशान करते रहे। बर्फीली हवा चलने से गलन के बीच सभी लोग कांपते रहे।